फटे व दीमक लगे हैंड ग्लब्स से मरीजों का हो रहा इलाज
जब सड़े हुए हैंड ग्लब्स (दस्ताने) से मरीजों का इलाज होगा, तो उनका स्वास्थ्य तो भगवान भरोसे है। ये स्थिति एमजीएम के एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर का। जहां मरीजों के इलाज के लिए फटे व दीमक लगे...
जब सड़े हुए हैंड ग्लब्स (दस्ताने) से मरीजों का इलाज होगा, तो उनका स्वास्थ्य तो भगवान भरोसे है। ये स्थिति एमजीएम के एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर का। जहां मरीजों के इलाज के लिए फटे व दीमक लगे हैंड ग्लब्स इस्तेमाल किए जा रहे हैं। एमसीआई के नियमों की उड़ रही धज्जियां : मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की सख्त नियमावली में एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) केंद्रों में साफ-सफाई रखने का आदेश है। लेकिन, एमजीएम अस्पताल के एआरटी केंद्र में एमसीआई के इस नियम की धज्जियां उड़ रही हैं। केंद्र के ठीक सामन से नाली बहती है। सड़क भी कच्ची है। केंद्र के पीछे ही कूड़ा डंप किया जाता है। वहीं, केंद्र के अंदर भी गंदगी और बदबू का बोलबाला है। एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं : एमजीएम एआरटी सेंटर में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। मसलन इस केंद्र का प्रभार अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. बलराम झा पर है। जोकि प्रतिदिन सौ मरीजों की जांच करते हैं। यौन रोगों के लिए सबसे अहम भूमिका काउंसिलिंग की होती है। लेकिन, एमजीएम अस्पताल में दो स्वीकृत पदों पर केवल एक ही काउंसलर है। जिले में एड्स व यौन रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए नौ समितियां काम करती हैं। लेकिन, इन समितियों के लिए एमजीएम एआरटी केंद्र में एक भी कार्यालय नहीं है।