यात्री सुरक्षा और गांजा की तस्करी रोकना रेल पुलिस की प्राथमिकता : डीजी
रेल पुलिस में अवर निरीक्षकों की कमी है। इससे पुलिस मुख्यालय में पत्र भेजा गया है, ताकि झारखंड के विभिन्न रेल थानों में अवर निरीक्षक की नियुक्ति हो...
रेल पुलिस में अवर निरीक्षकों की कमी है। इससे पुलिस मुख्यालय में पत्र भेजा गया है, ताकि झारखंड के विभिन्न रेल थानों में अवर निरीक्षक की नियुक्ति हो सके। इससे मामलों की जांच में तेजी आएगी। रेल पुलिस के डीजी अनिल पालटा ने सोमवार को टाटानगर रेल एसपी मुख्यालय में प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि रेल थानों की कार्यप्रणाली में पूर्व की अपेक्षा सुधार हुआ है। दर्जनों पुराने मामलों का निष्पादन टाटानगर समेत अन्य रेल थानों में हुआ है। वहीं, अन्य मामलों के निष्पादन की प्रक्रिया जारी है। डीजी ने कहा कि धनबाद, रांची समेत टाटानगर स्टेशनों से लंबी दूरी की ट्रेनों का परिचालन ज्यादा होता है। यात्रियों की भीड़ की सुरक्षा रेल पुलिस की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि ट्रेनों से गांजा की तस्करी को रोकना रेल पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए ट्रेनों में एस्कॉर्ट ड्यूटी लगाई गई है। डीजी ने बताया जमशेदपुर में रेल पुलिस की नई बैरक के लिए जगह चिह्नित की जा रही है। एनओसी मिलने पर जल्द ही निर्माण कराया जाएगा। इससे पहले डीजी ने रेल एसपी मुख्यालय का निरीक्षण किया और रेल एसपी ऋषभ कुमार झा व अन्य पुलिस पदाधिकारियों के साथ बैठक कर लंबित मामलों के निष्पादन के कारणों पर प्रश्न उठाकर तकनीकी परेशानियों की जानकारी ली।
बच्ची का चार महीने में नहीं मिला सुराग
डीजी ने कहा कि टाटानगर स्टेशन के बर्मामाइंस गेट से सात महीने की गायब बच्ची एवं उसे उठा ले जाने वाले की तलाश जारी है। मालूम हो कि 2 सितंबर को अज्ञात व्यक्ति मां को झांसा देकर बच्ची को उठा ले गया। बच्ची की बरामदगी के लिए रेल पुलिस ने झारखंड व बंगाल के विभिन्न रेल थानों के संपर्क में है। वहीं, आरोपी समेत बच्ची की सूचना देने पर ईनाम की घोषणा हुई है। लेकिन बच्ची चार महीने बाद भी नहीं मिली है। जबकि घटना के बाद थानेदार बदल दिए गए और पुलिसकर्मी आरोपी का फोटो लेकर थानों का चक्कर लगा रहे हैं। इससे साथ ही 2018 में प्रवीण गुलगुलिया की लापता दो बच्चियों का भी अबतक पता नहीं चला है।