टाटा स्टील में अब जेडीसी की संख्या होगी 25, जेडब्ल्यूसी समाप्त
टाटा स्टील में प्रबंधन तथा यूनियन के बीच 1956 में हुई त्रिस्तरीय ज्वाइंट कंस्लटेशन अवधारणा अब दो स्तरीय होने जा रही है। इस बार कई कमेटियों के स्वरूप...
टाटा स्टील में प्रबंधन तथा यूनियन के बीच 1956 में हुई त्रिस्तरीय ज्वाइंट कंस्लटेशन अवधारणा अब दो स्तरीय होने जा रही है। इस बार कई कमेटियों के स्वरूप में बदलाव किया जा रहा है। जबकि जेडीसी की संख्या 34 से घटकर 25 की जा रही है। संभावना है कि अगले सप्ताह तक प्रबंधन तथा यूनियन की संयुक्त कमेटियों के गठन की घोषणा कर दी जाएगी।
इस बदलाव को यूनियन नेतृत्व 1956 के समझौते का बड़ा झटका मान रहा है। खर्च में कटोती के लिए अब जेडीसी संख्या 34 से घटाकर 25 की जा रही है। जबकि जेडब्ल्यूसी का अस्तित्व को समाप्त कर इसे जेसीसीएम में तब्दील किया जाएगा। जेसीसीएम में अब कंपनी के कोई उपाध्यक्ष स्तर के पदाधिकारी तथा यूनियन अध्यक्ष बारी-बारी से कमेटी के चेयरमैन या वाइस चेयरमैन होंगे। इस कमेटी में यूनियन के सभी 11 पदाधिकारी होंगे। पहले जेसीसीएम के चेयरमैन बारी-बारी से एमडी तथा यूनियन के अध्यक्ष होते रहे हैं। अब एक नई कमेटी एपेक्स जेसीसीएम होगी। इसका स्वरूप व्यापक होगा। इस एपेक्स कमेटी के चेयरमैन तथा वाइस चेयरमैन कंपनी के प्रबंध निदेशक तथा टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष बारी-बारी से होंगे। कमेटी में टाटा वर्कर्स यूनियन के सिर्फ अध्यक्ष, महामंत्री तथा डिप्टी प्रेसिडेंट होंगे। इसके अलावा कलिंगानगर, सभी माइंस, टीजीएस, टाटा स्टील लॉंग प्रोडक्ट आदि यूनियन के अध्यक्ष को सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। राकेश्वर पांडेय, बीके डिंडा भी इस आधार पर इसके सदस्य हो जाएंगे। एपेक्स जेसीसीएम में प्रबंधन से जेसीसीएम में शामिल रहे सभी शीर्ष अधिकारी रहेंगे। इसके अलावा जेडब्ल्यूसी से मेडिकल एडवाइजरी कमेटी तथा टाउन एडवाइजरी कमेटी को जेडब्ल्यूसी से अलग किया जाएगा।
क्या है थ्री टीयर सिस्टम
प्रबंधन तथा यूनियन के बीच 1956 को हुए समझौते के अनुसार विभागीय स्तर पर समस्याओं के निपटारे के लिए जेडीसी है। जेडीसी में विभागीय चीफ तथा कमेटी मेंबर के अलावा कहीं-कहीं कुछ कर्मचारी भी रहते हैं। जेडीसी स्तर पर कोई मुद्दा नहीं सुलझने पर उसे जेडब्ल्यूसी में भेज दिया जाता था। यहां भी मुद्दों का हल नहीं होने पर उसे प्रबंधन व यूनियन की सर्वोच्च नीति निर्धारक कमेटी जेसीसीएम में भेजा जाता रहा है। अब मुद्दे जेडीसी सीधे जेसीसीएम के पास जाएंगे। एपेक्स जेसीसीएम में अब सिर्फ टाटा स्टील जमशेदपुर की ही नहीं, बल्कि सभी लोकेशनों के मुद्दों पर चर्चा होगी। इस नई व्यवस्था से यूनियन के सभी 11 पदाधिकारियों को कार्यकारिणी के कार्यकाल के दौरान एमडी के साथ सीधे मिलने तथा अपनी बातों को रखने का अवसर मिलता था, जो अब नहीं होगा।
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