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लुप्त हो रही बांग्ला भाषा को बचाने की जरूरत : जयंती घोष

परसूडीह के प्रमथनगर स्थित निखिल भारत बंग साहित्य का 8वां दो दिवसीय आंचलिक सम्मेलन विवेकानंद क्लब में शनिवार से शुरू हो गया है। उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय महासचिव जयंती घोष और विशिष्ट...

लुप्त हो रही बांग्ला भाषा को बचाने की जरूरत : जयंती घोष
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरSat, 10 Nov 2018 05:32 PM
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परसूडीह के प्रमथनगर स्थित निखिल भारत बंग साहित्य का 8वां दो दिवसीय आंचलिक सम्मेलन विवेकानंद क्लब में शनिवार से शुरू हो गया है। उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय महासचिव जयंती घोष और विशिष्ट अतिथि पश्चिम बंगाल के सचिव नील कुमार धर मौजूद थे।

समारोह में जयंती घोष ने कहा कि बांग्ला भाषा आज की तारीख में लुप्त हो रहा है। इसे बचाने की जरूरत है। बांगला भाषा में कोल, सरदार और महतो समाज के लोग आज बात करते हैं, लेकिन बांग्ला भाषी लोग बोलने में लज्जा महसूस करते हैं। बांग्ला को बचाने के लिए आज राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन करने की जरूरत है।

स्मारिका का हुआ विमोचन : सम्मेलन में एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। स्मारिका के जरिए बांग्ला समाज के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया गया है। समारोह में साहित्य पर चर्चा की गई और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यकरमों का भी आयोजन किया गया।

समारोह में ये थे मौजूद : सम्मेलन को सफल बनाने में मुख्य रूप जिला पार्षद सुदीप्त डे उर्फ राणा डे, डॉ. लाली घोष, शंकर सूर, रोमेन दोरदार, संजीव, अमिता बोस, माधवी चक्रवर्ती, राजेंद्र राज, आनंदिता सूद, श्यामली पात्रो आदि सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

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