पूर्वी सिंहभूम जिले से पिछली विधान सभा के लिए निर्वाचित छह सदस्य, विधायक योजना की राशि खर्च करने के मामले में कहां रहे, यह स्पष्ट हो गया है। 2015-16 से 2019-20 के दौरान इन्हें मिले 18-18 करोड़ रुपए की विकास निधि को खर्च करने के मामले में सबसे आगे पोटका की विधायक मेनका सरदार रहीं। जबकि सबसे फिसड्डी बहरागोड़ा के विधायक कुणाल षाड़ंगी साबित हुए। यह आंकड़ा अद्यतन व्यय पर आधारित है, जो इसी माह जारी हुई है।
हालांकि योजनाओं के चयन से लेकर उनकी पूर्णता और डीसी बिल जमा करने तक की प्रक्रिया काफी जटिल है। और इस कसौटी पर खरा उतरना इतना आसान भी नहीं है। परंतु इसमें बहुत कुछ विधायकों के द्वारा चयनित निर्माण एजेंसियों की भी भूमिका होती है। एजेंसी विधायक अपनी पसंद के अनुसार चुनते हैं। कुछ विधायकों ने एक से अधिक एजेंसी से काम कराया है। जैसे शुरू से रघुवर दास की एजेंसी जिला परिषद है जबकि अधिकांश की ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल। वैसे सरयू राय की एजेंसी जमशेदपुर अक्षेस व मानगो नगर निगम, रामचंद्र सहिस की ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल, मेनका सरदार की ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल व एनआरइपी, लक्ष्मण टुडू की ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल और कुणाल षाड़ंगी की ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल, एनआरइपी और जिला परिषद।