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महासंग्राम : केवल कागजी कार्रवाई में दब गया घाटशिला को जिला बनाने का मुद्दा

जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के घाटशिला अनुमंडल में उम्मीद जगी थी कि जिला बनाने की वर्षों पुरानी मांग को इस बार राजनीतिक दल मुद्दा बनाएंगे। लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद आज तक किसी ने इस मुद्दे को आवाज देना...

महासंग्राम :  केवल कागजी कार्रवाई में दब गया घाटशिला को जिला बनाने का मुद्दा
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरSat, 11 May 2019 01:42 AM
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जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के घाटशिला अनुमंडल में उम्मीद जगी थी कि जिला बनाने की वर्षों पुरानी मांग को इस बार राजनीतिक दल मुद्दा बनाएंगे। लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद आज तक किसी ने इस मुद्दे को आवाज देना मुनासिब नहीं समझा। नक्सलियों के कारण सुर्खियों में रहे इस अनुमंडल को जिला बनता देखने की यहां लोगों की हसरत पुरानी है। यहां के मतदाताओं ने यहा सपने इसीलिए भी संजो रखा है क्योंकि घाटशिला अनुमंडल को जिला बनाने की दिशा में कागजी कार्रवाई की गाड़ी काफी आगे बढ़ने के बाद रुकी हुई है। लोगों का तर्क है कि जब 9 ब्लॉक व 10,65,056 जनसंख्या वाले 2724 वर्ग किलोमीटर में फैले सरायकेला-खरसावां को जिला बनाया जा सकता है तो फिर घाटशिला को क्यों नहीं? उनका यह भी कहना है कि सरायकेला-खरसावां जिले में कुल तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं और यहां 7,78,524 मतदाता हैं। वहीं घाटशिला अनुमंडल में घाटशिला, बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र के अलावा पोटका विधानसभा सीट का आधा हिस्सा पड़ता है तथा यहां कुल 5,01,927 वोटर हैं। घाटशिला अनुमंडल को जिले का दर्जा दिलाने की दिशा में पहल शुरू हुई थी। घाटशिला के तत्कालीन विधायक प्रदीप बलमुचू ने राज्य सरकार पर दबाव बनाकर गुड़ाबांदा को प्रखंड का दर्जा तो दिला दिया, पर घाटशिला को जिला बनवाने में वे सफल नहीं हो सके। हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से जिला बनाने के संबंध में सूचनाएं मांगी गई थी। अनुमंडल मुख्यालय से उपायुक्त कार्यालय होते हुए यह प्रस्ताव राज्य सरकार तक पहुंचा था, लेकिन उस पर आज तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। बलमुचू बताते हैं कि वर्तमान सरकार भी लगभग तीन साल पहले तक इस मामले को गंभीरता से ले रही थी। जिला बनने की जो अर्हता चाहिए, उसे घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र पूरा भी करता है, लेकिन न जानें क्यों जिला बनाने की फाइल को काल कोठरी में डाल दिया गया है। उनका कहना है कि यह मांग काफी पुरानी है। झारखंड गठन के बाद घाटशिला को जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था। इन आंदोलनों को पूरे घाटशिला अनुमंडल के लोगों का समर्थन भी भरपूर मिला। यह मुद्दा आज भी ज्वलंत है।

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