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लोकसभा चुनाव : ग्रामीण इलाकों से बेटियों का नहीं रुक पा रहा पलायन

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की अधिक आबादी वाले पश्चिमी सिंहभूम (सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र) में बेराजगारी के कारण ग्रामीण इलाकों की बेटियों का पलायन नहीं रुक पा रहा है। हर साल पश्चिमी सिंहभूम जिले की...

लोकसभा चुनाव : ग्रामीण इलाकों से बेटियों का नहीं रुक पा रहा पलायन
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरSat, 30 Mar 2019 08:33 PM
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पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की अधिक आबादी वाले पश्चिमी सिंहभूम (सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र) में बेराजगारी के कारण ग्रामीण इलाकों की बेटियों का पलायन नहीं रुक पा रहा है। हर साल पश्चिमी सिंहभूम जिले की सैकड़ों बेटियां महानगरों में गुम हो जा रही हैं, जिनकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है।

आदिवासी बहुल पश्चिमी सिंहभूम जिले की कुल आबादी 15,02,388 है। इसमें महिलाओं की आबादी 7,55,953 और पुरुषों की आबादी 7,49,385 है।गरीबी के कारण पलायन को मजबूर हैं बेटियां: खनिज सम्पदा से भरपूर पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक भी बड़ा उद्योग नहीं हैं। कई बार क्षेत्र में स्टील प्लांट, सीमेंट प्लांट लगाने के लिए एमओयू हुए, लेकिन ये धरातल पर नहीं उते। इस कारण रोजगार की यहां विकट समस्या है। पहाड़ और जंगलों से घिरे इस इलाके में गरीबी आज भी अभिशाप है और लोगों को दो वक्त की रोटी भी जुटाना मुश्किल होता है। इसका फायदा उठाकर जिले में सक्रिय महानगरों के दलाल गांव की भोली-भाली बेटियों को बेहतर जिंदगी के सपने दिखाकर ले जाते हैं और प्लेसमेंट एजेंसी को बेच देते हैं। प्लेसमेंट एजेंसियां इन ग्रामीण लड़कियों से लोगों के घरों में नौकरानी का काम कराती हैं, लेकिन उन्हें उसके बदले उचित मजदूरी भी नहीं मिलती और साथ ही तरह-तरह की यातनाएं भी दी जाती हैं।अबतक नहीं लौटीं कई बेटियां: पश्चिमी सिंहभूम जिले की कई बेटियों को जिला प्रशासन, चाइल्ड लाइन सहित अन्य संस्थाओं ने महानगरों से वापस घर भेजा है। वहीं, हजारों ऐसी बेटियां हैं, जो महानगर तो गईं लेकिन उनकी किस्मत इतनी अच्छी नहीं है कि दोबारा घर लौट सकें। वहीं उनके मां-बाप आज भी लौटने के इंतजार में हैं। मुख्य बातें पश्चिमी सिंहभूम जिले में वर्ष 2014 से 2016 के बीच मानव तस्करी के कुल 309 मामले सामने आए सीआईडी ने 10 सितंबर 2018 को डीसीपी क्राइम ब्रांच दिल्ली को 240 कथित एजेंट और प्लेसमेंट एजेंसियों की सूची भेजी है पश्चिमी सिंहभूम का मानव तस्करी के मामले में राज्य में दूसरा स्थान है पश्चिमी सिंहभूम में मानव तस्करी रोकने के लिए एक इकाई भी गठित की गई है। यहां मामले दर्ज होते हैं।

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