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लॉकडाउन : 36 दिनों में टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट से नहीं बना एक भी वाहन

पहले से ही मंदी की मार झेल रहे ऑटोमोबाइल सेक्टर पर कोरोना के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन से दोहरी मार पड़ी है। देश की अग्रणी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स भी इससे अछूती नहीं रही है। लॉकडाउन के बुधवार को...

लॉकडाउन : 36 दिनों में टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट से नहीं बना एक भी वाहन
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरThu, 30 Apr 2020 07:22 PM
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पहले से ही मंदी की मार झेल रहे ऑटोमोबाइल सेक्टर पर कोरोना के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन से दोहरी मार पड़ी है। देश की अग्रणी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स भी इससे अछूती नहीं रही है। लॉकडाउन के बुधवार को 36 दिन हो गए। इन 36 दिनों में टाटा मोटर्स में एक भी वाहन नहीं बना। कंपनी में उत्पादन कार्य पूरी तरह ठप है। परिणामस्वरूप कंपनी को कम से कम 12 अरब से अधिक रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है। टाटा मोटर्स की एकदिन में वाहन बनाने की अधिकतम क्षमता 450 है। पिछले आठ माह से ऑटोमोबाइल सेक्टर मंदी की चपेट में था। टाटा मोटर्स में भी इसका असर था। कंपनी में प्रतिमाह 2500 से 5000 के बीच वाहनों का उत्पादन हो रहा था। इस आधार पर 36 दिनों की इस लॉकडाउन की अवधि में अनुमानित 6000 वाहनों का निर्माण होता। इन छह हजार वाहनों की अनुमानित औसत मूल्य 12 अरब रुपये होता है। प्रबंधन सभी प्रकार के कर्मचारियों को वेतन भी दे रहा है।कंपनी में 12 हजार से अधिक कर्मचारी करते है काम : टाटा मोटर्स में करीब 5400 स्थायी कर्मचारी, 3700 बाइसिक्स, करीब 4000 ठेका मजदूर और लगभग 2000 अधिकारी काम करते हैं। अधिकारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम का आदेश है। वे घर से काम कर रहे हैं, जबकि टेल्को कॉलोनी व कंपनी के हाउसकीपिंग, मेंटेनेंस में सभी श्रेणी के करीब 500 मजदूर काम कर रहे हैं। अब है बीएस-6 वाहन बनाने की चुनौती : कंपनी खुलने के बाद बीएस-6 मॉडल वाहन बनाने की चुनौती होगी। हालांकि प्रबंधन ने इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले एक साल से तैयारी कर रहा था। इसके ट्रायल भी हो चुके हैं। जानकारों का कहना है कि अब इसके बाजार को लेकर नई चुनौती होगी। इंसलारियों पर पड़ा सबसे बुरा असर : टाटा मोटर्स के लिए कलपुर्जे बनाने का काम आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के करीब 80 प्रतिशत एन्सिलरियों के जिम्मे है। टाटा मोटर्स में काम ठप होने के कारण करीब 800 एन्सिलरियां बंद पड़ी हुई है। परिणामस्वरूप इनमें काम करनेवाले करीब डेढ़ लाख से अधिक स्थायी, ठेकाकर्मी एवं लॉजिस्टिक्स समेत अप्रत्यक्ष रूप से आश्रित पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं।

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