धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाने पर कटेंगे 79 हजार से ज्यादा पेड़
धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट के लिए 79 हजार 332 पेड़ काटने की जरूरत होगी। केंद्रीय वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 19 मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा है। 2019 में 300 करोड़ रुपये का एमओयू हुआ था, लेकिन...
धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाने के लिए झारखंड वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में सात शर्तों के साथ जुलाई में मंजूरी दी थी। अब केंद्रीय मंत्रालय ने पत्र भेजकर 19 मुद्दों पर झारखंड वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है। बताया जाता है कि धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाने का काम शुरू करने से 79 हजार 332 पेड़ काटने होंगे। केंद्रीय वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सवाल उठाया है कि पेड़ काटने से वातावरण पर क्या असर पड़ेगा। स्थानीय निवासियों को एयरपोर्ट से कितना लाभ होगा एवं राजस्व की स्थिति क्या होगी। एयरपोर्ट के विकास के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता होगी। एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण करने के साथ यात्री सुविधा में आसपास क्या विकास कार्य होना है। केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के निजी सर्वे के अनुसार, हाल के वर्षों में धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के आसपास सैकड़ो पेड़ राज्य वन विभाग द्वारा लगाए गए हैं, जिन्हें एयरपोर्ट के विस्तार में काटना पड़ सकता है। केंद्रीय मंत्रालय ने एयरपोर्ट की जमीन से हाथियों के विचरण क्षेत्र की दूरी समेत आसपास इलाके में पांच वर्ष के अंदर मानव-हाथी संघर्ष पर भी रिपोर्ट मांगी है।
2019 में हुआ था एमओयू
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के समक्ष एनएच-33 स्थित धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाने का मुद्दा 2019 में तत्कालीन झारखंड सरकार ने उठाया था। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और राज्य सरकार के बीच 300 करोड़ से एयरपोर्ट बनाने का एमओयू हुआ था। लेकिन कभी वन भूमि तो कभी हाथियों का विचरण क्षेत्र होने की रिपोर्ट के कारण एयरपोर्ट का मामला टलता रहा। अभी धालभूमगढ़ में 80 वर्ष पुराने रनवे के पास एयरपोर्ट अथॉरिटी के लिए 99 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है। एयरपोर्ट के आसपास पांच में से तीन गांव जमीन के मुद्दे पर सहमति जता चुके हैं। इससे जुलाई में झारखंड वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने शर्तों के साथ एयरपोर्ट बनाने में सहमति जताई थी। लेकिन केंद्रीय मंत्रालय ने 19 मुद्दों को उठाकर सवालों का जवाब मांगा है।
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