नया कोर्स शुरू करने को मान्यता देने में मनमानी नहीं कर सकेगा केयू
झारखंड हाईकोर्ट ने कोल्हान विश्वविद्यालय को निजी कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया है। इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय...
किसी भी निजी कॉलेज को मान्यता देने में अब कोल्हान विश्वविद्यालय की मनमानी नहीं चलेगी। न मान्यता देने की प्रक्रिया पूरी करने में कोल्हान विवि निर्धारित समय सीमा से अधिक समय ले सकेगा। इसके लिए पिछले दिनों झारखंड हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। यह निर्देश हाईकोर्ट ने इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन की ओर से मान्यता नहीं देने के मामले में दायर चायिका पर दिया गया। दरअसल, गत वर्ष सितंबर में इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन सरायकेला ने संस्थान में सत्र 2024-25 से बीएड के अलावा बीबीए व बीसीए कोर्स शुरू करने के लिए मान्यता के लिए आवेदन किया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने यह कहते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन के आवेदन को खारिज कर दिया था कि निर्धारित समय पर संस्थान मान्यता के लिए जरूरी दस्तावेज जमा नहीं कर पाया। मामले में इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन ने कोर्ट में बताया था कि निर्धारित समय पर संस्थान ने बीबीए-बीसीए कोर्स के लिए आवेदन किया गया था और इसके लिए 60-60 हजार रुपये (प्रति कोर्स) शुल्क भी जमा कर दिया गया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने समय पर आवेदन की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया। इस कारण एक जनवरी 2024 के बाद एआईसीटीई का नया नियम लागू हो गया। इसके कारण विवि ने संस्थान को एआईसीटीई से जारी अप्रूवल से संबंधित दस्तावेज आवश्यक हो गया और इसके न होने का हवाला दे विवि ने आवेदन खारिज कर दिया। हालांकि बाद में संस्थान ने यह दस्तावेज भी दे दिया, लेकिन तबतक विवि ने यह कह दिया कि अब मान्यता देने की तिथि समाप्त हो चुकी है। इस मामले को संस्थान कोर्ट ले गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने विवि को अस्थायी मान्यता देने के निर्देश दिए। कोर्ट ने मान्यता के लिए निर्धारित समयवधि में विवि को आवेदन का निपटारा का निर्देश दिया। कहा-समय से अगर विवि ने संस्थान के आवेदन का निष्पादन कर दिया होता तो एआईसीटीई के अप्रूवल की जरूरत ही नहीं पड़ती। विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में अस्थायी एफिलिशन देना है तो इसे देने में बहुत कठोर रुख अख्तियार करने से बचे, जब कोई महाविद्यालय पहले से कोई कोर्स संचालित कर रहा हो।
निर्देश के आलोक में विवि को मान्यता से संबंधित आवेदनों के डिस्पोजल से संबंधित नियमों को कोट करते हुए कहा गया कि एफिलिशन के लिए हर साल 15 सितंबर तक आवेदन की तिथि है, जिसके बाद विवि को संबंधित कॉलेज का निरीक्षण कर 15 जनवरी तक इसका प्रस्ताव उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक कार्यालय को भेजना है। इसके बाद 15 फरवरी तक उच्च शिक्षा विभाग को इस प्रस्ताव पर टिप्पणी कर आगे बढ़ाना है। 15 मार्च तक इस टिप्पणी का अनुपालन करना है और 15 मई तक हर हाल में संबंधित शैक्षणिक सत्र के लिए मान्यता प्रदान करनी है। यह समयवधि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर बदली जाती है।
मान्यता के लिए अब एआईसीटीई का अप्रूवल जरूरी
किसी भी तकनीकी कोर्स, मसलन-बीबीए, बीसीए, एमबीए, एमसीए या होटल मैनेदजमेंट कोर्स को शुरू करने के लिए अब कॉलेजों को मान्यता लेने के लिए पहले एआईसीटीई से अप्रूवल लेना होगा। पिछले साल तक यह नियम नहीं था। इसी साल जनवरी से इस नियम को लागू किया गया है। कॉलेजों को अब एआईसीटीई से पहले कोर्स शुरू करने से संबंधित सहमति पत्र लेना होगा। इसी आधार पर विवि में मान्यता के लिए आवेदन किया जा सकेगा। एआईसीटीई के अप्रूवल के बिना मान्यता नहीं दी जाएगी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।