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पत्नी के इलाज को किराए की साइकिल पर लादकर बंगाल से जमशेदपुर पहुंचा पति

कोरोना महामारी के कारण लोगों की जेबें खाली हो चुकी हैं। ऐसे में परिवार पर कोई दिक्कत आए तो इंसान कुछ भी कर गुजरने से पीछे नहीं हट रहा। कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को शहर में देखने को मिला, जब एक पति पैसे...

पत्नी के इलाज को किराए की साइकिल पर लादकर बंगाल से जमशेदपुर पहुंचा पति
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरTue, 16 Jun 2020 05:09 PM
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कोरोना महामारी के कारण लोगों की जेबें खाली हो चुकी हैं। ऐसे में परिवार पर कोई दिक्कत आए तो इंसान कुछ भी कर गुजरने से पीछे नहीं हट रहा। कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को शहर में देखने को मिला, जब एक पति पैसे के अभाव में अपनी बीमार पत्नी के नि:शुल्क इलाज की आस में उसे किराए की साइकिल में लादकर बंगाल से भटकता हुआ जमशेदपुर पहुंच गया। यहां उसे अंतत: मदद मिली और नि:शुल्क इलाज के साथ आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई गई। जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल के बड़ा बाजार, पुरुलिया निवासी सुरू हरि की पत्नी बेदनी (29) को अपेंडिक्स था। सुरू रिक्शा चलाता था, परिवार की आर्थिक दशा पहले से ही खराब थी। इधर, लॉकडाउन के कारण रिक्शा बंद होने से खाने तक के लाले हो गए। इसी बीच पत्नी की स्थिति बेहद खराब हो गई। जेब में फूटी कौड़ी नहीं थी, इसलिए सुरू अपनी पत्नी का किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज नहीं करा सका। 50 रुपये प्रतिदिन में उसने एक किराये की साइकिल का जुगाड़ किया और बेटी और पत्नी को साइकिल पर लादकर इलाज को दर-बदर भटकता रहा। 15 दिन बाद वह सोमवार को एमजीएम पहुंचा तो वहां भी भर्ती नहीं लिया गया और उसे गंगा मेमोरियल जाने को कह दिया गया। गंगा मेमोरियल पहुंचने पर डॉ. नागेंद्र सिंह ने उसकी आर्थिक स्थिति को समझते हुए न सिर्फ बेदनी का नि:शुल्क ऑपरेशन किया, बल्कि 15 दिन के साइकिल के किराए के पैसे भी दिये। साथ ही एम्बुलेंस से नि:शुल्क घर पहुंचवाने का वादा किया। इलाज में विलंब के कारण फट गया था अपेंडिक्स : डॉ. नागेंद्र ने बताया कि अपेंडिक्स का अधिक समय तक इलाज नहीं होने पर यह पेट में ही फट जाता है। बेदनी के मामले में पेट में अपेंडिक्स फट गया था। इसके कारण इंटरनल ब्लीडिंग हो रही थी। सर्जरी कर फटे हुए अपेंडिक्स को निकालकर ब्लीडिंग रोकी गई। अगर इलाज कुछ दिन और टलता तो जान को खतरा हो सकता था। इसके इलाज में लगभग 40 हजार का खर्च था, पर आर्थिक स्थिति को देखते हुए नि:शुल्क इलाज किया गया। दो दिन में मरीज को डिस्चार्ज कर घर भेज दिया जाएगा।

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