Hindi NewsJharkhand NewsJamshedpur NewsGrand Conclusion of Shri Bhagwat Katha at Bistupur Satyanarayan Marwari Temple

मनुष्य के जीवन में मित्रता की अहम भूमिका : हिमांशु महाराज

बिष्टूपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन हवन यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ हुआ। सैकड़ों भक्तों ने यज्ञ में भाग लिया और प्रसाद ग्रहण किया। कथावाचक हिमांशु महाराज ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरWed, 20 Aug 2025 06:10 PM
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मनुष्य के जीवन में मित्रता की अहम भूमिका : हिमांशु महाराज

बिष्टूपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन मंगलवार को हवन यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ हुआ। सैकड़ों भक्तों ने कथा के विश्राम पर हवन यज्ञ में पूर्णाहुति दी। हवन एवं पूर्णाहुति के बाद एक हजार से अधिक भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कथावाचक हिमांशु महाराज ने धर्म, सत्य और कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कृष्ण-सुदामा की मित्रता की महिमा का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि जहां सच्ची मित्रता होती है, वहां स्वार्थ नहीं होता। आज के मनुष्य को कृष्ण और सुदामा से सीखना चाहिए कि जीवन में मित्रता की कितनी अहम भूमिका है। सुदामा ने भगवान कृष्ण के हिस्से के चने खा लिये, जिसके कारण उन्हें दरिद्रता झेलनी पड़ी।

पत्नी के आग्रह पर सुदामा एक पोटली में चावल लेकर द्वारका पहुंचे। द्वारका में कृष्ण और सुदामा की भेंट हुई। कृष्ण ने उस पोटली से दो मुठ्ठी चावल खाये और बदले में सुदामा को दो लोक दे दिये। इस प्रकार सुदामा दो लोकों के राजा बने। आज कलयुग में स्थिति इसके विपरीत है, मित्र ही मित्र को धोखा दे जाते हैं। इनका रहा योगदान कथा को सफल बनाने में सचिव सुरेश कुमार अगीवाल, कुंजबिहारी नागेलिया, संतोष संघी, अशोक नरेड़ी, अशोक संघी, संत कुमार आगीवाल, विजय कुमार आगीवाल, हरिशंकर सोंथालिया, बाबूलाल सोंथालिया, बजरंग लाल सोंथालिया, मुरारी लाल सोंथालिया, बनवारी लाल सोंथालिया, सत्यनारायण नरेड़ी, विश्वनाथ नरेड़ी, कमल अगीवाल, नरेश नरेड़ी, महावीर नागेलिया आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।