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सरकार ने नहीं दी छात्रवृत्ति, फीस जमा नहीं करने से 750 आदिवासी बच्चों की संस्थान ने रोकी डिग्री

दूसरे राज्यों के तकनीकी संस्थानों में पढ़ रहे आदिवासी बच्चों का भविष्य अधर में है। सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति के नहीं मिलने से ये विद्यार्थी संस्थान की फीस नहीं चुका पाये और पढ़ाई पूरी होने के...

सरकार ने नहीं दी छात्रवृत्ति, फीस जमा नहीं करने से 750 आदिवासी बच्चों की संस्थान ने रोकी डिग्री
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरWed, 22 Aug 2018 05:53 PM
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दूसरे राज्यों के तकनीकी संस्थानों में पढ़ रहे आदिवासी बच्चों का भविष्य अधर में है। सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति के नहीं मिलने से ये विद्यार्थी संस्थान की फीस नहीं चुका पाये और पढ़ाई पूरी होने के बाद भी उनकी डिग्री रोक ली गई। इनमें पूर्वी सिंहभूम के 750 विद्यार्थी शामिल है। इन विद्यार्थियों ने अब डीसी ने अपने भविष्य को बचाने की गुहार लगाई है।

झामुमो के नेतृत्व में मंगलवार को उन्होंने डीसी ऑफिस पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व झामुमो जिलाध्यक्ष रामदास सोरेन, पार्षद संजीव सरदार, बाबर खान और लाल्टू महतो ने किया। उन्होंने राज्य सरकार के द्वारा 2017 में बाहरी संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों की छात्रवृत्ति पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन उपायुक्त अमित कुमार को सौंपा। इसमें मुख्यमंत्री पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि सरकार के आदेश से पूर्वी सिंहभूम जिले के दूसरे राज्यों के तकनीकी संस्थानों में पढ़ रहे करीब 750 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। इनमें से 225 तो सिर्फ तमिलनाडु के सेंट जोसेफ पॉलीटेक्निक कॉलेज कृष्णागिरी में पढ़ रहे थे। बाकी अन्य राज्यों में हैं।

एक साल दिया, दो साल से बंद : जिन बच्चों की छात्रवृत्ति बंद की गई है, वे लगभग पाठ्यक्रम पूरा कर चुके हैं। 2016 में इन्होंने नामांकन कराया था और सरकार ने पहले साल की छात्रवृत्ति दे दी थी जिससे उनकी फीस जमा हुई। मगर 2016-17 और 2018-19 में छात्रवृति रोके जाने के कारण फीस नहीं दी। इस वजह से संस्थान ने उनकी परीक्षा ले ली और रिजल्ट जारी कर दिया। मगर सर्टिफिकेट रोक लिया है। इस वजह से उनकी पढ़ाई बेकार हो गई है। उनका दावा है कि अधिकांश बच्चे मेधावी हैं जिन्हें 80-85 प्रतिशत नंबर आए हैं।

नहीं रोकी जाएगी छात्रवृत्ति : इस मामले में मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल को डीसी अमित कुमार ने बताया कि यह पूरे राज्य का मामला है और राज्य सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि 2017 से पूर्व से पढ़ रहे आदिवासी बच्चों की छात्रवृत्ति नहीं रोकी जाएगी। कहा, इस मामले में राज्य सरकार संवेदनशील है। इसलिए किसी प्रकार का भ्रम नहीं फैले इसका ध्यान रखें।

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