एमजीएम अस्पताल से चोरी बच्ची गुड़ाबांदा के जंगल से बरामद
एमजीएम अस्पताल से चोरी हुई बच्ची को तीन दिनों बाद शुक्रवार को गुड़ाबांदा के जंगल से शुक्रवार को बरामद कर लिया गया। नवजात को डोंगादोह जंगल में एक थैला में डालकर पत्थर के नीचे दबाकर रख दिया गया...
एमजीएम अस्पताल से चोरी हुई बच्ची को तीन दिनों बाद शुक्रवार को गुड़ाबांदा के जंगल से शुक्रवार को बरामद कर लिया गया। नवजात को डोंगादोह जंगल में एक थैला में डालकर पत्थर के नीचे दबाकर रख दिया गया था। लकड़हारा सबर दंपती कुनू सबर और उनकी पत्नी फुलमणि सबर ने बच्ची के रोने की आवाज सुनकर पत्थर के नीचे से निकाला और उसे गुड़ाबांदा की आसमां बीवी को सौ रुपये में दे दिया। बच्ची खून से लथपथ थी। आसमां के अनुसार, नवजात की स्थिति गंभीर थी, उसने उसके बदन से खून साफ किया। पुलिस बच्ची का डीएनए टेस्ट कराएगी, ताकि बच्ची के माता-पिता वहीं हैं या दूसरे इसकी पुष्टि हो सके। आसमां बीबी ने इसकी सूचना गुड़ाबांदा थाना प्रभारी ज्योतिलाल रजबाड़ को दी। इधर, नवजात के मिलने की जानकारी पर डीएसपी (सिटी) अनुदीप सिंह समेत साकची थाना की पुलिस टीम गुड़ाबांदा थाना पहुंची। बच्ची को स्थानीय अस्पताल में इलाज कराने के बाद उसे एंबुलेंस से एमजीएम अस्पताल पहुंचाया गया। जानकारी मिलने पर चाइल्ड लाइन की टीम भी पहुंची। एमजीएम अस्पताल में नवजात के स्वास्थ्य की जांच कराई गई। पुलिस ने नवजात के पिता नवरू पूर्ति और नानी गोरबारी गागराई को पहचान के लिए बुलाया। नवजात काफी कमजोर हो गयी है। जिस कारण पहले उसके पिता नवरू पूर्ति और नानी ने पहचानने से इंकार कर दिया। लेकिन जब चेहरे को गौर से देखा तो बच्चे की पहचान की। नवरू ने बताया कि जिस वक्त बेटी ने जन्म लिया था, वह तंदुरुस्त थी। लेकिन अब वह काफी कमजोर है। नवरू के अनुसार यह उसकी तीसरी बच्ची है। बड़ी बेटी और मंझला बेटा हैं। बच्ची को चोरी करने वाली महिला का अभी तक पता नहीं चला है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है। इस मामले में पुलिस को एक सहिया पर शक है। उससे गुरुवार को दिन भर पुलिस ने पूछताछ की। उसके बाद ही उस बच्ची के जंगल में मिलने की सूचना पुलिस को हाथ लगी। पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा डिबरूसाई निवासी नवरू पूर्ति की पत्नी ने 4 सितम्बर को एक लड़की को जन्म दिया था। नवजात को लेकर उसकी नानी प्रशासनिक भवन में गई, जहां एक महिला झांसा देकर उस बच्ची को चुराकर भाग गयी थी।