हर थाने में मिलेगा फॉरेंसिक जांच का प्रशिक्षण, किट भी मुहैया कराई जाएगी
अपराध के अनुसंधान में तेजी लाने के लिए अब हर थाने में अस्थायी फॉरेंसिक टीम
अपराध के अनुसंधान में तेजी लाने के लिए अब हर थाने में अस्थायी फॉरेंसिक टीम को तैनात किया जा रहा है। इसके लिए एक नोडल पुलिस पदाधिकारी भी होंगे, जो टीम और किट के साथ घटनास्थल पर पहुंचेंगे। इसकी तैयारी की जा रही है।
पुलिस का मकसद है कि छोटे-छोटे अपराधों का भी अनुसंधान बारीकी से हो और साक्ष्य जुटाने में पुलिस को परेशानी नहीं हो। इसके लिए पहले ही शहर के थानों को फिंगर प्रिंट किट उपलब्ध कराए गए हैं। पुलिस मुख्यालय की ओर से उपलब्ध कराए गए फिंगर प्रिंट किट में वे सभी उपकरण हैं, जिसे लेकर एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री) टीम घटनास्थल पर जाती है। सभी थानों को अनुसंधान के तरीकों में बदलाव कराना, हाईटेक बनाना और वैसे सबूत जुटाना शामिल है, जिसे पुलिस नजरों से पकड़ नहीं पाती है। कई बार वारदात के तुरंत बाद पुलिस फिंगर प्रिंट के लिए एफएसएल टीम को बुला नहीं पाती। इसकी वजह से साक्ष्य सही तरीके से पुलिस जुटा नहीं पाती। बाद में इसका असर अनुसंधान पर पड़ता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार ज्यादातर ऐसा होता है कि डबल मर्डर, लाखों की चोरी, बैंक डकैती और सुसाइड के मामलों में ही पुलिस फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट को बुलाती है। कई बार ऐसा होता कि कोई घटना रात में होती है, जिसमें एफएसएल की टीम नहीं पहुंच पाती। थानों में दिए गए उपकरण का सही तरीके से इस्तेमाल हो सके, इसके लिए सभी थानों में दारोगा स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण पहले ही दिया जा चुका है। संभव है कि एक बार फिर उसे प्रशिक्षण को दोहराया जाएगा।
