Food Safety Violations Restaurants Reuse Cooking Oil Endangering Health बचे हुए कूकिंग ऑयल का बार-बार हो रहा इस्तेमाल, सेहत से खिलवाड़, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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बचे हुए कूकिंग ऑयल का बार-बार हो रहा इस्तेमाल, सेहत से खिलवाड़

जमशेदपुर में होटल, ढाबों और फुटपाथी दुकानों पर खाना पकाने के तेल के पुन: उपयोग में गंभीर लापरवाही सामने आई है। दुकानदार पुराने तेल में नया तेल मिलाकर ग्राहकों को परोस रहे हैं, जो एफएसएसएआई के...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरTue, 7 Oct 2025 04:34 PM
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बचे हुए कूकिंग ऑयल का बार-बार हो रहा इस्तेमाल, सेहत से खिलवाड़

जमशेदपुर।शहर के होटल, ढाबों, ठेलों और फुटपाथी दुकानों पर इस्तेमाल किए जा रहे खाना पकाने के तेल को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। अधिकांश दुकानदार बचा हुआ तेल बार-बार उपयोग कर रहे हैं और उसी में नया तेल मिलाकर ग्राहकों को परोस रहे हैं। यह न केवल एफएसएसएआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि लोगों की सेहत से सीधा खिलवाड़ भी है। विभाग ने अब सख्ती दिखाते हुए जांच अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 25 प्रतिशत से अधिक टीपीसी (टोटल पोलर कंपाउंड) वाले तेल का दोबारा उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

साथ ही, उपयोग किए गए तेल में नया तेल मिलाना भी मना है। ऐसे तेल का सेवन लिवर डैमेज, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है। फुटपाथी दुकानों में नियमों का पालन नहीं शहर के अधिकतर फुटपाथी दुकानदार और ठेला संचालक इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। खासकर पकौड़ी, समोसा, चाउमीन आदि बेचने वाले कई दिनों तक एक ही तेल का उपयोग करते हैं। जब तेल काला हो जाता है, तब उसमें नया तेल मिलाकर फिर से इस्तेमाल किया जाता है, जिससे लोगों की सेहत को गंभीर नुकसान होता है। क्या है टीपीसी टीपीसी वह रासायनिक परिवर्तन है जो लंबे समय तक गर्म करने या दोबारा उपयोग किए गए तेल में होता है। जब टीपीसी की मात्रा 25 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तो तेल में टॉक्सिक कंपाउंड्स बन जाते हैं, जो हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, कैंसर और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। एफएसएसएआई ने 2019 में अभियान चलाया था एफएसएसएआई ने 2019 में आरयूसीओ अभियान चलाकर प्रयोग किए गए तेल का सही निपटान और बायोडीजल के रूप में पुनः उपयोग सुनिश्चित करने की पहल की थी। हालांकि, अधिकांश रेस्टोरेंट और होटल संचालक अब तक इस दिशा में कदम नहीं उठा पाए हैं। फूड सेफ्टी विभाग की निरीक्षण और मॉनिटरिंग व्यवस्था भी ढीली होने के कारण इसका पालन नहीं हो पा रहा है। विभाग अब छापेमारी और जन जागरूकता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने की तैयारी में है।

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