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फीफा महिला फुटबॉल कैम्प से बढ़ेगा क्रेज

फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप के तैयारी शिविर को लेकर जमशेदपुर के खिलाड़ियों में उत्साह है। इनका मानना है कि ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की मेजबानी में...

फीफा महिला फुटबॉल कैम्प से बढ़ेगा क्रेज
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरThu, 04 Feb 2021 05:40 PM
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फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप के तैयारी शिविर को लेकर जमशेदपुर के खिलाड़ियों में उत्साह है। इनका मानना है कि ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की मेजबानी में मध्य फरवरी से प्रस्तावित शिविर से सूबे में महिला फुटबॉल का क्रेज बढ़ेगा। अभिभावक जानेंगे कि महिला फुटबॉल में भविष्य है। फेडरेशन की महिला इकाई ने भारत अंडर-20 की तैयारी शिविर को भी मंजूरी दी है।

फीफा कैंप से बदलेगी स्थिति

राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी और इंडिया कैंपर गंगा कुमारी ने कहा कि बड़ी खुशी की बात है कि शहर में फीफा अंडर-17 विश्वकप के लिए भारतीय टीम का प्रशिक्षण शिविर लगने वाला है। महिला फुटबॉल का क्रेज बढ़ने के साथ अभिभावकों को अहसास होगा कि झारखंड में महिला फुटबाल का भविष्य उज्ज्वल है। खिलाड़ियों में इच्छाशक्ति का संचार होगा कि अच्छा करने से भारतीय टीम में जगह मिल सकती है। कोल्हान में महिला फुटबॉल में काफी प्रतिभाएं हैं। स्कोप नहीं होने के कारण परिवार का सहयोग नहीं मिलता है। इस शिविर से स्थिति बदलेगी।

शिविर देखने का मिले मौका

झारखंड महिला फुटबॉल संघ के सचिव अहमद अंसारी ने कहा कि बहुत खुशी की बात है। यह शिविर और पहले लगना चाहिए था। इंडियन सुपरलीग में जमशेदपुर फुटबॉल क्लब (जेएफसी) की वजह से कोल्हान में फुटबॉल में असीम संभावना दिखती है। महिला फुटबॉल में राज्य सरकार की अभिरुचि राज्य की खिलाड़ियों के लिए वरदान साबित होगा। शिविर में महिला फुटबॉलर को गैलरी से अभ्यास और मैत्री मैच देखने का मौका मिलना चाहिए। इससे कोल्हान के स्कूल और कॉलेज स्तर के खिलाड़ियों में दिलचस्पी बढ़ेगी और प्रतिभाएं सामने आएंगी।

स्कूल-कॉलेज में बढ़ेगा क्रेज

राष्ट्रीय फुटबॉलर एवं टाटा स्टील के फुटबॉल कोच शफीक ने कहा कि जमशेदपुर की स्कूली लड़कियां बहुत सारे खेल में हिस्सा लेती हैं। फीफा शिविर से फुटबॉल के प्रति रुझान बढ़ेगा। सरकार और खेल विभाग को स्कूल और कॉलेजस्तरीय गेम्स को बढ़ावा देना होगा, ताकि राष्ट्रीय शिविर तक खिलाड़ी पहुंचने में सफल हो सके। स्कूली बच्चों को शिविर देखने का मौका दिया जाना चाहिए। देखकर सीखने से खिलाड़ियों की सोच बदलेगी। कोच के अभाव स्कूली खिलाड़ी व्यक्तिगत रूप से मेहनत करने को प्रेरित होंगे।

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