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मानगो में काव्य गोष्ठी, शायरी से किया मंत्रमुग्ध

‘शायकीन-ए-अदब की ओर से झरिया धनबाद के शायर इम्तियाज दानिश के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। आजादनगर में गोष्ठी की अध्यक्षता शाकिर अजीमाबादी और संचालन रुहुल जमील ने...

मानगो में काव्य गोष्ठी, शायरी से किया मंत्रमुग्ध
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरMon, 19 Mar 2018 05:39 PM
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‘शायकीन-ए-अदब की ओर से झरिया धनबाद के शायर इम्तियाज दानिश के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। आजादनगर में गोष्ठी की अध्यक्षता शाकिर अजीमाबादी और संचालन रुहुल जमील ने किया।

जमशेद आलम रहबर ने ‘वो नजर मुझ से अपनी चुराते रहे, रुख को जुल्फों में अपनी छुपाते रहे के बाद अशरफ अली अशरफ ने ‘पहले डरते थे लोग हैवां से, अब तो सब आदमी से डरते हैं और महशर हबीबी ने ‘आप, तुम, तू, में बात करता है, वह तराजू में बात करता है काव्य रचना पेश किया।

मेहमान शायर इम्तियाज दानिश की ‘किसी भी दौर का हो फिरऔन की हो नमरूद, मेरे खुदा के हैं सारे खुदा निशाने पर पंक्तियों ने खूब तालियां बटोरीं। इम्तियाज दानिश ने कहा कि काव्य गोष्ठी साहित्य को जीवंत रखने में मील का पत्थर सिद्ध होता है। युवा कवि माहताब अनवर ने भी काव्य पाठ किया।

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