आए दिन फैक्ट्रियों में बवाल से उद्यमी कर रहे हैं पलायन
जमशेदपुर और आस-पास के औद्योगिक क्षेत्रों में छोटे राजनीतिक दल लघु और मध्यम उद्योगों के लिए समस्या बनते जा रहे हैं। ये दल प्रबंधन पर दबाव डालकर अनुचित मांगें मनवाने की कोशिश कर रहे हैं। जनवरी 2025 से...
जमशेदपुर, विद्यासागर: जमशेदपुर और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में तेजी से उभरते छोटे-छोटे राजनीतिक दल अब लघु और मध्यम उद्योगों के लिए बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। ये दल कंपनी प्रबंधन को दबाव में लेने और अनुचित मांगें मनवाने के लिए मौके की तलाश में रहते हैं। किसी मामूली घटना को बड़ा मुद्दा बनाकर प्रबंधन को घेरने और उगाही के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जनवरी 2025 से अबतक दो दर्जन से अधिक ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें राजनीतिक दखल से कंपनियों को परेशान किया गया। इनमें सिर्फ तीन घटनाओं में केस दर्ज हुए। इस वजह से कई उद्योग जमशेदपुर से पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।
अबतक 300 से अधिक उद्यमी दूसरे राज्य में जमीन लेकर विस्तार में जुट गए हैं। अबतक दो दर्जन से अधिक घटनाएं हुई हैं, जिसमें दूध प्लांट, माइंस पर जाने के सरकारी रास्ते को जेसीबी से काट देने, कंपनी के अंदर गुटबाजी कर कामकाज प्रभावित करने से लेकर प्रदर्शन तक के मामले शामिल हैं। केस-1 श्रमिक की मौत पर मुआवजे की आड़ में बवाल 26 जुलाई की शाम को सोनी ऑटो कंपनी में कार्यरत ठेका मजदूर सर्वेश्वर महतो की तबीयत अचानक बिगड़ गई। प्रबंधन ने तुरंत अस्पताल पहुंचवाया और बाद में घर भिजवा दिया। रात में उसकी मौत हो गई। अगले दिन कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने शव को कंपनी गेट पर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया और मुआवजे के नाम पर मनमानी मांगें रखने लगे। प्रबंधन को धमकाया गया। बाद में प्रशासन के हस्तक्षेप से स्थिति सामान्य हुई। केस-2 पुराने हादसे को बना लिया हथियार मेटा वेब कंपनी में आठ साल पहले एक कर्मचारी की अंगुली कट गई थी। उसे नौकरी और तमाम सुविधाएं दी गई थीं। हाल ही में कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने अचानक यह मुद्दा उठाते हुए कंपनी से मोटे मुआवजे की मांग कर दी। प्रबंधन के तर्क और दस्तावेज के बावजूद वे दबाव बनाते रहे। अंततः प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ और कंपनी को राहत मिली। केस-3 चोरी पकड़ी गई तो गेट पर किया हंगामा दिलीप इंजीनियरिंग कंपनी में एक ड्राइवर ने माल की चोरी के बाद कंपनी ने उसका वाहन प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद उस ड्राइवर के समर्थन में एक स्थानीय राजनीतिक समूह कंपनी गेट पर पहुंच गया और हंगामा करने लगा। उन्होंने कंपनी पर दबाव बनाया कि उस वाहन को दोबारा काम पर लगाया जाए। जब प्रबंधन ने इनकार किया तो उन्हें धमकी दी गई। इस बार भी प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। बिना अनुमति के हस्तक्षेप पर होगी कार्रवाई सरायकेला खरसांवा के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दलों को एसडीएम की अनुमति के बिना कोई भी कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया गया है। यदि वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अधिकांश मामलों में राजनीतिक दल श्रम कानून के उल्लंघन का हवाला देकर हस्तक्षेप कर रहे हैं। इसपर रोक लगाने के लिए श्रम निरीक्षक को निर्देश दिया गया है कि वह सुनिश्चित करें कि श्रम कानूनों का उल्लंघन न हो।
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