शहर में कुत्तों की सात साल से नहीं हुई नसबंदी
शहर और आसपास के इलाके में कुत्तों की नसबंदी सात साल से नहीं हुई है। आखिरी बार 2015 में अभियान चलाया गया था, वह भी कंपनी कमांड इलाके में...
शहर और आसपास के इलाके में कुत्तों की नसबंदी सात साल से नहीं हुई है। आखिरी बार 2015 में अभियान चलाया गया था, वह भी कंपनी कमांड इलाके में है। इसके बाद से अब तक शहर के तीनों निकायों में किसी के पास भी कुत्तों की आबादी नियंत्रण करने की कोई योजना नहीं है।
शाम ढलते ही शहर के विभिन्न इलाकों में कुत्तों का आतंक बढ़ जाता है। खासकर रात में सड़कों पर निकलना मुश्किल हो जाता है। शहर के कई इलाके में कुत्तों का आतंक है। रोज औसतन छह लोग अस्पतालों में इंजेक्शन लेने पहुंचते हैं। इन कुत्तों पर नकेल कसने के लिए तीनों निकायों के पास कोई ठोस योजना नहीं है। यहां रोज कुत्ते काटने से औसतन 6 नए लोग इलाज कराने अस्पताल आते हैं। एमजीएम अस्पताल में एक सप्ताह में 350 लोग एंटी रैबीज का इंजेक्शन लेते हैं। रेडक्रॉस, टीएमएच, सदर अस्पताल सहित शहर के अन्य निजी नर्सिंग होम का आंकड़ा देखा जाए तो यह संख्या 15 के करीब पहुंच जाती है। अलग-अलग क्षेत्रों से हर माह करीब 400 से अधिक लोग कुत्तों की चपेट में आते हैं।
तीनों निकायों में 25662 कुत्ते
2008 में एक एजेंसी ने कुत्तों की आबादी का सर्वे किया था, लेकिन उसके आंकड़ों का खुलासा नहीं किया गया, पर निकायों ने अनुमानित आंकड़े दर्ज किए थे, जिसमें कुत्तों की आबादी लगभग 25662 बताई गई थी। इनमें जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के क्षेत्र में 14194, मानगो नगर निगम के क्षेत्र में 9968, जुगसलाई नगर परिषद के क्षेत्र में 1500 कुत्ते हैं।