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सरकारी सख्ती के बावजूद जिले में 15 हजार बाल श्रमिक

बालश्रम समाज के लिए एक अभिशाप बन गया है। कड़े कानून और सरकारी प्रयास के बावजूद भी बालश्रम पर प्रतिबंध न लगना चिंता का विषय है। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि बाल श्रम को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठा...

सरकारी सख्ती के बावजूद जिले में 15 हजार बाल श्रमिक
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरWed, 12 Jun 2019 06:09 PM
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बालश्रम समाज के लिए एक अभिशाप बन गया है। कड़े कानून और सरकारी प्रयास के बावजूद भी बालश्रम पर प्रतिबंध न लगना चिंता का विषय है। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि बाल श्रम को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं, इसके बावजूद जिले में 15 हजार से ज्यादा बाल श्रमिक हैं।

दो वर्ष की सजा का प्रावधान: जमशेदपुर के श्रम अधीक्षक दिगंबर महतो के अनुसार बालश्रम मामले में 20 से 50 हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दो वर्ष कारवास की सजा का प्रावधान है। बाल श्रम मामले को सुनवाई के लिए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया जाता है। 2018 में 47 के खिलाफ केस हुआ है। श्रम विभाग बाल श्रमिक को बरामद कर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंपती है।

पांच स्कूल में होगा नामांकन: बाल श्रम के दौरान बरामद बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी द्वारा संचालित पांच स्कूलों में दाखिला कराया जाता है। वहीं, बच्चों को रखने के लिए सोनारी स्थित आदर्श सेवा संस्थान और बाल गृह में सुविधा है, लेकिन लड़कियों को रखने की व्यवस्था जिले में नहीं है।

परिवार चलाते बच्चे: बिहार के छपरा व समस्तीपुर के कई बच्चे टाटानगर स्टेशन रोड स्थित होटल में काम करते हैं। एक बाल श्रमिक ने कहा कि पिता नहीं हैं। इस कारण जमशेदपुर आकर होटल में काम करता है। हर महीने दो हजार रुपये गांव भेजता है, जिससे मां-बहन का गुजारा हो सके। दूसरी ओर, बागबेड़ा डीबी रोड में वाहन की धुलाई करने वाले बच्चे ने कहा कि काम कर खुद की पढ़ाई का खर्च निकालता है, क्योंकि पिता को ठेकेदारी में ज्यादा वेतन नहीं मिलता है।

संस्थाएं चलाती हैं अभियान : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पारा लीगल सदस्य शहर की बस्तियों में जागरूकता अभियान चलाते हैं। आदर्श सेवा संस्थान एवं चाइल्ड लाइन के स्वयं सेवक लगातार बालश्रम के प्रति लोगों को प्रेरित करते हैं, ताकि बाल श्रम की प्रवृत्ति को रोका जा सके। बाल श्रमिकों को छुड़ाने की अपील अन्य संस्थाओं से भी की जाती है।

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