आदिवासी अस्तित्व रक्षा को कदम उठाएं सीएम : माझी महाल
माझी परगना महाल का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को जमशेदपुर परिसदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला। उन्होंने आदिवासी अस्तित्व की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिनमें संथाली भाषा को प्रथम...
माझी परगना महाल का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को जमशेदपुर परिसदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला। यहां महाल की ओर से सीएम को ज्ञापन सौंपा गया। इसमें आदिवासी अस्तित्व की रक्षा को कई अहम मांग सीएम के समक्ष रखी गई। स्थानीय नीति राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हुए अंतिम सर्वे सेटेलमेंट खतियान के आधार पर बने तथा नियोजन नीति पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में प्रखंड स्तर पर बनाया जाए। वहीं, संथाली भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है। इसलिए संथाली भाषा को झारखंड में प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए। संथाली भाषा, संस्कृति के प्रचार के लिए अलग से संथाली विभाग, संताली एकेडमी की स्थापना की जाए। प्राथमिक विद्यालयों से विवि तक संथाली भाषा को ओलचिकी लिपि से पढ़ाई सुनिश्चित करने हेतु भाषाई अल्पसंख्यक बोर्ड का अविलंब गठन किया जाए। भाषा शिक्षकों की बहाली स्थायी रूप से अविलंब हो। जनगणना में सरना धर्म को मान्यता देते हुए कलम कोड को जनगणना प्रपत्र में अंकित करने के लिए उचित पहल पर जोर दिया गया। लैंड पूल कानून तथा लैंड बैंक कानून को अविलंब निरस्त किया जाए। टीएसी के 20 सदस्यों के अलावा आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के अगुवा परगना, माझी, मानकी, मुंडा, ढोकलो शोहोर, पड़हा राजा आदि को शामिल किया जाए। पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में नगर निगम, नगरपालिका का गठन संविधान के तहत असंवैधानिक है। इसलिए अनुसूची क्षेत्रों में गठित नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत को अविलंब निरस्त किया जाए। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बैजू मूर्मू व दुर्गा मुर्मू ने किया।
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