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कोरोना : जेलों में कैदियों को बचाना बड़ी चुनौती

कोल्हान में चार जेल हैं, जिनमें एक सेंट्रल जेल घाघीडीह है। इनमें तीन उपकारा है, जिनमें 2500 से अधिक कैदी हैं। खासकर उपकारा में क्षमता से काफी अधिक कैदी हैं। केवल सेंट्रल जेल की क्षमता 1700 है, जबकि...

कोरोना : जेलों में कैदियों को बचाना बड़ी चुनौती
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरMon, 30 Mar 2020 04:57 PM
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कोल्हान में चार जेल हैं, जिनमें एक सेंट्रल जेल घाघीडीह है। इनमें तीन उपकारा है, जिनमें 2500 से अधिक कैदी हैं। खासकर उपकारा में क्षमता से काफी अधिक कैदी हैं। केवल सेंट्रल जेल की क्षमता 1700 है, जबकि कैदियों की संख्या सामान्य है। बहुत से कैदी अनपढ़ हैं, जिन्हें कोरोना से जंग के बीच बचाना एक बड़ी चुनौती है।जेल की चहारदीवारी में कुछ कैदी कोरोना वायरस की चपेट में आ गये तो वहां की स्थिति पर कैसे काबू पाया जाएगा, शायद इसी आशंका को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों के स्वास्थ्य की खुद चिंता की और अब राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इनकी रिहाई के बारे में निर्देश दिये हैं। कोल्हान में घाघीडीह सेंट्रल जेल, सरायकेला, चाईबासा और घाटशिला उपकारा है। जेलों से फिलहाल नहीं छूटेंगे कैदी : जेलों में बंद कैदियों को विशेष मामले में असमय कारा मुक्ति, पेरोल या अग्रिम जमानत का फिलहाल लाभ नहीं मिलेगा। राज्य की उच्च स्तरीय कमेटी ने यह निर्णय लिया है। कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एचसी मिश्रा, जबकि सदस्यों में गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह व कारा महानिरीक्षक शशि रंजन शामिल हैं। कमेटी ने जेलों को सूची तैयार रखने का निर्देश दिया है। इसमें बताना है कि जेलों में ऐसे कितने कैदी हैं, जिन्हें एक वर्ष से सात वर्ष तक की सजा हो चुकी है। ऐसे कैदियों को पेरोल या जमानत का लाभ दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। ऐसे कैदी मुख्य रूप से चोरी, छिनतई, छेडखानी, मारपीट व दहेज प्रताड़ना जैसे छोटे केस से संबंधित हैं।जेल आईजी शशि रंजन का कहना है कि जेल में दो तरह के सेंटर बनाए गए हैं। जो नये कैदी आते हैं, उन्हें पहले क्वारेंटाइन किया जाएगा और उनकी हर दिन निगरानी की जाएगी। यह देखने के लिए कि उनमें कोरोना के कोई लक्षण तो नहीं हैं, जेल के अंदर ही मास्क बनाया जा रहा है। सभी कैदियों को मास्क भी मुहैया कराया जा रहा है। जेल के अंदर सेनिटाइजर बनाने का भी काम शुरू किया जाएगा।

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