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फोरम में अपनी ही चालबाजी में फंस गया उपभोक्ता

स्कूटी खरीदने वाले जुगसलाई निवासी उपभोक्ता ने न्याय पाने के लिए जिला उपभोक्ता निवारण फोरम में केस किया। मगर चालबाजी की वजह से वह नियमों के मकड़जाल में उलझ गया। सात साल बाद जब फोरम का फैसला उसके पक्ष...

फोरम में अपनी ही चालबाजी में फंस गया उपभोक्ता
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरMon, 27 Nov 2017 10:49 PM
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स्कूटी खरीदने वाले जुगसलाई निवासी उपभोक्ता ने न्याय पाने के लिए जिला उपभोक्ता निवारण फोरम में केस किया। मगर चालबाजी की वजह से वह नियमों के मकड़जाल में उलझ गया। सात साल बाद जब फोरम का फैसला उसके पक्ष में आया तो अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई। उसके नाम का 87 हजार का चेक फोरम में रखा हुआ है और वह उसे हासिल करने को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिख रहा है। हालांकि इसका भी कोई परिणाम नहीं निकला है।

विकलांग पुरुषोत्तम अग्रवाल ने मेसर्स किशनलाल अग्रवाला के नाम से 2007-08 में रुचित होंडा एजेंसी से एक्टिवा स्कूटी खरीदी थी। आरोपों के अनुसार, उसमें तकनीकी खामी पैदा हो गई थी। सर्विस नहीं मिल रही थी। कल-पुर्जे भी नहीं मिल रहे थे। इस बीच एजेंसी भी बंद हो गई। इस वजह से अग्रवाल ने 6 दिसंबर 2009 में उपभोक्ता फोरम में रुचित होंडा के एमडी, होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्रालि गुड़गांव के एमडी और नई एजेंसी मूनका ऑटोमोबाइल जुगसलाई के खिलाफ केस दर्ज कराया।

कंपनी को 30 हजार हर्जाना व 6% सूद चुकाने का आदेश : 22 अप्रैल, 2016 को फोरम ने सर्वसम्मति से होंडा कंपनी के खिलाफ आदेश पारित किया। फोरम ने स्कूटी की कीमत 39,336 रुपये केस फाइल करने की तिथि से 6% ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया। साथ ही अग्रवाल को मानसिक एवं शारीरिक कष्ट पहुंचाने के एवज में 25 हजार और मुकदमा खर्च के रूप में पांच हजार रुपये देने का आदेश दिया।

शर्त थी कि उपभोक्ता को स्कूटी वापस करनी होगी। मूनका होंडा ने 87 हजार का चेक फोरम में जमा कर दिया। फोरम ने आदेश दिया कि अग्रवाल एजेंसी के पास स्कूटी जमाकर उसकी पावती दिखाए तभी चेक मिलेगा।

ऑनरबुक देखने से फंस गया पेच : अग्रवाल स्कूटी और ऑनरबुक लेकर मूनका होंडा गए। मगर वह ऑनर नंबर तीन का ऑनरबुक था। इस पर मूनका होंडा ने ऑनरबुक की कॉपी और जांच के लिए समय मांगा। अग्रवाल इसके लिए तैयार नहीं हुआ और फोरम में शिकायत की।

इस बीच मूनका होंडा ने उस नंबर की स्कूटी के ऑनरबुक का विवरण डीटीओ ऑफिस से निकलवाया तो मजेदार घटनाक्रम का खुलासा हुआ।

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