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बाघिन के डर से स्कूल नहीं जा पा रहे बच्चे

पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला के ग्रामीण क्षेत्रों में बाघिन के आतंक से लोग इतने डरे-सहमे हैं कि वे घर से भी नहीं निकल रहे हैं। मकर पर्व की छुट्टी समाप्त होने के बाद शुक्रवार को स्कूल खुले, लेकिन...

बाघिन के डर से स्कूल नहीं जा पा रहे बच्चे
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरSat, 18 Jan 2020 08:17 PM
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पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला के ग्रामीण क्षेत्रों में बाघिन के आतंक से लोग इतने डरे-सहमे हैं कि वे घर से भी नहीं निकल रहे हैं। मकर पर्व की छुट्टी समाप्त होने के बाद शुक्रवार को स्कूल खुले, लेकिन बाघिन के डर से जंगल के आसपास के स्कूलों में बच्चे नहीं पहुंचे। इतना ही नहीं शिक्षक भी दोपहिया वाहन को छोड़कर भाड़े की चारपहिया गाड़ी से पूरी तरह से शीशा बंद कर स्कूल पहुंचे। कुछ दिनों पहले घाटाशिला के आसपास के जंगल में ग्रामीणों ने बाघिन को देखा था। बाघिन दो पशुओं को भी अपना निवाला बना चुकी है। इसके बाद से लोगों में काफी दहशत है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने भी ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा है। शुक्रवार को कालचिती पंचायत के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका सुलेखा कुमारी ने बताया कि सुबह 10 बजे से बैठे हैं। दिन के 12 बज गए हैं लेकिन बाघिन के डर से एक भी बच्चा स्कूल नहीं पहुंचा है। ऐसी स्थिति में बच्चे को घर से भी बुलाकर नहीं ला सकते, क्योंकि कुछ हो गया तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। वहीं, उत्तक्रमित उच्च विद्यालय झांटीझरना के प्रधानाध्यापक नवदीप बिहारी करण ने बताया कि उनका स्कूल घाटशिला से 30 किलोमीटर से भी अधिक की दूरी पर है। पूरा रास्ता जंगल में है और बाघिन भी इसी क्षेत्र में है। इस कारण भाड़े की गाड़ी लेकर स्कूल आना-जाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाघ के कारण ही स्कूल में बच्चों की उपस्थिति नगण्य है।पुनगोड़ा की घटना के बाद शांत है बाघिन : पुनगोड़ा में गुरुवार को गौरांग विषई के घर से एक भेड़ को उठाकर बाघिन द्वारा खा जाने के बाद से बाघिन का कोई हलचल नहीं दिख रहा है। वन विभाग के रेंजर दिनेश कुमार ने कहा कि वह 24 घंटे नजर रख रहे हैं, लेकिन कही से बाघिन की कोई खबर नहीं है।

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