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चैती छठ : व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य

चैती छठ के दौरान गुरुवार को व्रतियों और श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। अर्घ्य के समय तेज आंधी और बारिश से छठ घाटों पर कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गयी, लेकिन...

चैती छठ के दौरान गुरुवार को व्रतियों और श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। अर्घ्य के समय तेज आंधी और बारिश से छठ घाटों पर कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गयी, लेकिन...
1/ 2चैती छठ के दौरान गुरुवार को व्रतियों और श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। अर्घ्य के समय तेज आंधी और बारिश से छठ घाटों पर कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गयी, लेकिन...
चैती छठ के दौरान गुरुवार को व्रतियों और श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। अर्घ्य के समय तेज आंधी और बारिश से छठ घाटों पर कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गयी, लेकिन...
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हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरFri, 12 Apr 2019 11:46 PM
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चैती छठ के दौरान गुरुवार को व्रतियों और श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। अर्घ्य के समय तेज आंधी और बारिश से छठ घाटों पर कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गयी, लेकिन श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। व्रती महिलाएं हाथों में सूप और दऊरा पकड़े तेज आंधी के बीच घाटों पर बैठी रहीं। इस दौरान ओले भी गिरे, लोगों को चोट भी लगी, लेकिन इसकी परवाह किए बिना श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य के प्रति आस्था को प्रबल रखा और दूध व जल का अर्घ्य अर्पण किया।

शहर के स्वर्णरेखा घाट, सोनारी दोमुहानी घाट, सिदगोड़ा सूर्य मंदिर, बागबेड़ा भोजपुर कॉलोनी समेत विभिन्न नदियों और छोटे-बड़े तालाबों में बने छठ घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की। लोग शाम चार बजे के बाद ही अपने घरों से निकले।

स्वर्णरेखा घाट के पुल वाले छोर में जलकुंभियों के जमने के चलते उस ओर व्रतियों का जाना मुश्किल था। इस कारण पंप हाउस वाले छोर में ही व्रती महिलाओं ने अपने दऊरों सजाया था। नदी में उतरकर भगवान भास्कर को जब वे अर्घ्य दे रही थीं तो उसी वक्त तेज आंधी आयी। ऐसे में व्रती महिलाओं की पूजा बाधिक नहीं हो, इसलिए उनके परिजन सहयोग के लिए पानी में उतर आए थे।

चार दिनों तक चलने वाले इस लोक आस्था और सू्र्य उपासना के महापर्व के अंतिम दिन शुक्रवार को व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। अर्घ्य देने के बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर पारण करेंगे। इसके बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा।

शिविर नहीं होने से परेशानी

स्वर्णरेखा और खरकाई नदी घाटों पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिसमें तेज बारिश में बचा जा सके। व्रति महिलाओं के साथ बच्चे भी आए थे, जो बारिश के होने पर एक सामाजिक संस्था के लगे शिविर की तरफ दौड़े, लेकिन वह जगह भी उनके लिए नाकाफी थी। बारिश के चलते नदी तट के रास्तों में कीचड़ हो गया था, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी हुई।

यातायात पुलिस की व्यवस्था

शाम चार बजे से ही मानगो बस स्टैंड के निकट बसों के आने-जाने पर रोक लगा दी गयी थी। इसके चलते व्रतियों को परेशानी नहीं हुई। हालांकि, पुराना कोर्ट रोड को बंद नहीं किया गया था। इस रोड पर वाहनों का आना-जाना जारी था। कई लोग छठ घाट के नीचे तक अपने वाहनों को लेकर आ गए थे। वहीं घट पर सुरक्षा के लिए पुलिस और जवान तैनात थे।

सूर्य मंदिर में भी रही भीड़

सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर में लोगों की भीड़ रही। मंदिर कमेटी की ओर से यहां व्रतियों को कहां अर्घ्य देना है, इसकी सूचना माइक से दी जा रही थी। पिछले वर्ष की अपेक्षा यहां भीड़ ज्यादा थी।

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