जलेस की काव्य गोष्ठी में वर्तमान स्थिति का बेहतरीन चित्रण
भोजपुरी भवन गोलमुरी में जनवादी लेखक संघ की काव्य गोष्ठी आयोजित हुई। कवियों ने वर्तमान हालात पर कविताएँ पढ़ीं। अशोक शुशदर्शी की अध्यक्षता में, रमेश हंसमुख, ज्योत्सना अस्थाना, असर भागलपुरी, बिनोद...
भोजपुरी भवन गोलमुरी में जनवादी लेखक संघ की काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। कवियों ने वर्तमान हालात को अपनी रचनाओं में दर्शाया। अशोक शुशदर्शी की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस गोष्ठी में विमल किशोर विमल ने गीत गाया - गांव अब हमारा शहर बन गया है। रमेश हंसमुख ने 'पिता' शीर्षक कविता पढी। ज्योत्सना अस्थाना ने भोजपुरी गीत पढा-बरखा काहे कहर देखवलू। असर भागलपुरी ने शेर पढा- खताये अपनी धोना चाहता हूं। मेरे मौला मैं रोना चाहता हूं। बिनोद बेगाना ने कविता पढ़ी-सूखे वन में हरियाली की आस लगाए बैठे हैं। शैलेन्द्र अस्थाना ने 'छोटी होती दुनिया' शीर्षक कविता सुनाकर दाद बटोरी। हास्य कवि नवीन अग्रवाल ने पढ़ा-विकास की अंधी दौड ने कैसा ये सीन कर दिया। मशीन को आदमी और आदमी को मशीन कर दिया। डॉ. उदय हयात ने फिलिस्तीन के समर्थन में 'हे यहावा। हे अब्राहम कहा हो, शीर्षक की कविता का पाठकिया। शुभदर्शी ने जलेस सदस्यों के नवीनीकरण पर हर्ष जताया और' युग बदला ' कविता का सुन्दर पाठ किया। वरिष्ठ विग्यान सेवी डी एन एस आनन्द ने कवियों की प्रशंसा की और समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
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