टाटानगर में कवच लगाने का काम शुरू, मिट्टी की हुई जांच
टाटानगर स्टेशन पर हावड़ा-मुंबई मार्ग पर ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्वचालित सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का काम शुरू हो गया है। पहले चरण में 515 किमी तक कवच लगाने की योजना है। यह प्रणाली मानवीय भूल के...
टाटानगर स्टेशन होकर हावड़ा-मुंबई मार्ग पर ट्रेन दुर्घटना रोकने के लिए स्वचालित सुरक्षा प्रणाली कवच लगाने का काम शुरू हो गया। आसनबनी और सलगाजोड़ी केबिन तक रेलवे ने सोमवार को मिट्टी जांच कराई, जबकि मंगलवार को सीनी और महलीमुरुप स्टेशन के बीच जांच की जाएगी। मेन लाइन पर सिग्नल पोस्ट के पास कवच लगाने के लिए जगह चिह्नित की जा रही है। कवच लगने पर लोको पायलट हावड़ा-झारसुगुड़ा और हावड़ा-भद्रक मार्ग पर ट्रेनों को रफ्तार से सुरक्षित चला सकेंगे। बताया जाता है कि दक्षिण पूर्व जोन में पहले चरण में 515 किमी तक कवच लगाने की तैयारी है। मार्च 2028 तक 1556 किमी लाइन कवच से लैश होगी। रेलवे जोन में सेक्शन के अनुसार लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए परिचालन समेत विभिन्न विभागों को रोलिंग स्टॉक शाखा से समन्वय बनाकर काम करना पड़ेगा। दक्षिण पूर्व जोन में अभी हावड़ा-खड़गपुर-भद्रक एवं खड़गपुर-टाटानगर से झारसुगुड़ा तक कवच काम करेगा।
मानवीय भूल पर तत्काल सक्रिय होगा कवच
स्वचालित सुरक्षा प्रणाली कवच लगने पर किसी कारण चालक द्वारा ट्रेन की स्पीड कंट्रोल करने या ब्रेक लगाने में देर होने पर कवच की ब्रेक इंटरफेस यूनिट ट्रेन को कंट्रोल कर लेगी। कवच लोको पायलट को खतरे का संकेत देने के साथ मौसम बिगड़ने पर ट्रेनों को सुरक्षित चलाने में सहायक होगा। किसी इंजन के लाल सिग्नल पार करने पर कवच ब्रेक लगा देगा। ट्रेन की स्पीड ज्यादा होने पर कवच ऑटोमेटिक एक्टिव हो जाएगा। दो ट्रेनें के एक लाइन पर आने पर भी कवच दोनों ट्रेनों को निश्चित दूरी पर रोक देगा। काकोदकर समिति की रिपोर्ट पर 2012 में कवच को मंजूरी मिली थी। 2025 के बजट में भी कचव पर चर्चा करने के साथ फंड आवंटित किया गया है।
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