जमशेदपुर में करीब ढाई गुना महंगी होंगी शराब दुकानें
शहर की शराब दुकानें ढाई गुना तक महंगी हो सकती हैं। शहर की प्रमुख दुकानें लेने के लिए पिछली बार की तुलना में ढाई गुना तक अधिक रकम खर्च करनी पड़ेगी। पिछली बार बिष्टूपुर की कुछ दुकानों का शुल्क सात से...
शहर की शराब दुकानें ढाई गुना तक महंगी हो सकती हैं। शहर की प्रमुख दुकानें लेने के लिए पिछली बार की तुलना में ढाई गुना तक अधिक रकम खर्च करनी पड़ेगी। पिछली बार बिष्टूपुर की कुछ दुकानों का शुल्क सात से आठ लाख रुपये तक रहा था। हालांकि दुकानें लेने वालों को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि फायदा ही होगा। इसका कारण यह है कि कोल्हान के तीनों जिलों का कोटा वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार तर्कसंगत और न्यायोचित बनाया गया है। नीतिगत तौर पर इसको लेकर मौखिक सहमति उच्चाधिकारियों में बन चुकी है। हालांकि अधिसूचना जारी होने के बाद ही यह अंतिम रूप से तय होगा। फिलहाल 143 शराब दुकानें खोलने का प्रस्ताव है। इनमें 78 विदेशी, 46 देसी और 19 कंपोजिट दुकानें होंगीं। बताया जाता है कि कुछ जिलों का शुल्क चार गुना तक बढ़ सकता है। पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिलों का निर्धारित कोटा पहले की तुलना में बढ़ेगा, क्योंकि यह पहले कम माना गया है। जिला का देसी शराब का कोटा करीब दो तिहाई घटा दिया गया है। पूर्व में जिला का देसी शराब का कोटा 5 लाख 85 हजार लीटर था जो अब मात्र सवा दो लाख लीटर कर दिया गया है। यह प्रतिशत में 38.46% है। विदेशी शराब और बीयर का कोटा भी काफी घटाया गया है। इसका फायदा यह होगा कि उत्पाद विभाग लक्ष्य पूरा कर सकेगा और राजस्व पहले की तुलना में अधिक आएगा। वर्तमान में सभी सरकारी दुकानों के माध्यम से प्रतिदिन करीब 70 लाख रुपये की शराब बिकती है। इस हिसाब से हर माह 21 करोड़ और साल में 252 करोड़ रुपये की शराब बिक जाती है। मगर कोटा व्यावहारिक होने पर यह मात्रा और बढ़ेगी। इसलिए विभाग उम्मीद कर रहा है कि तब बिक्री 24 करोड़ मासिक जरूर होगी। वैसे भी शनिवार और रविवार को बिक्री बढ़कर करीब एक लाख हो जाती है। बीते 31 दिसंबर को तो 1 करोड़ 82 लाख करोड़ रुपये की शराब बिकी थी। दुकानें लेने वालों को संबंधित दुकान या समूह के एक साल के कुल शुल्क का 15 प्रतिशत सुरक्षित जमा और 2 फीसदी धरोहर के रूप में जमा करना होगा।