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शहर के 40 प्रतिशत बच्चों की आंखों में एलर्जी

शहर के 40 प्रतिशत बच्चों की आंखों में एलर्जी हो रही है। एक बात और भी खतरनाक है कि झारखंड, बंगाल और ओडिशा के किसी दूसरे बड़े शहरों की अपेक्षा जमशेदपुर के बच्चे ज्यादा चश्मा लगाते हैं। एक आकलन के...

शहर के 40 प्रतिशत बच्चों की आंखों में एलर्जी
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरSat, 08 Sep 2018 05:19 PM
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शहर के 40 प्रतिशत बच्चों की आंखों में एलर्जी हो रही है। एक बात और भी खतरनाक है कि झारखंड, बंगाल और ओडिशा के किसी दूसरे बड़े शहरों की अपेक्षा जमशेदपुर के बच्चे ज्यादा चश्मा लगाते हैं। एक आकलन के अनुसार शहर के स्कूलों में पढ़ने वाले 15 प्रतिशत बच्चों की नजर कमजोर है जिसके चलते उन्हें चश्मा लगाना पड़ता है।

मां बच्चे को दे देती है मोबाइल

इसका कारण धूल और प्रदूषण तो है ही लेकिन सबसे बड़ी समस्या इलेक्ट्रॉनिक गजेट की है। मां को घर में काम करना होता है तो वह अपने मोबाइल पर कोई गेम या फिर कार्टून वीडियो लगाकर अपने बच्चे को थमा देती है। बच्चा शांत तो हो जाता है लेकिन इसके साथ उसके आंखों की बीमारियां भी शुरू हो जाती है।

क्या कहते हैं शिशु नेत्र रोग विशेषज्ञ : पूर्णिमा नेत्रालय में नियमित सेवा देने वाले बंगाल, ओडिशा और झारखंड के जाने माने चिकित्सक विश्वजीत डे ने बताया कि जमशेदपुर की प्रकृति दूसरे शहरों से भिन्न है। यहां बच्चों में आंखों की बीमारियां ज्यादा होती है। एक प्रतिशत बच्चों में मोतियाबिंद है।

ग्रामीण बच्चों में ट्यूमर का खतरा

ग्रामीण इलाकों के बच्चों में ट्यूमर जिसे रेटिनो ब्लॉस्टोमा कहते हैं वह अधिक होता है। यदि समय से इसका उपचार होता है तो इस बीमारी से बच्चों को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यदि आंखों की पुतली में सफेदी दिख रही है तो तुरंत ही उसे बेहतर अस्पताल में ले जायें। तुरंत उपचार से इसका निदान संभव है। बच्चे का वजन यदि जन्म के वक्त दो किलो से कम है तो उसमें रैटिनो पैथियो प्री मैच्युरिटी होने की संभावनायें अधिक रहती है। इसका भी अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए।

भेंगापन का इलाज संभव

उन्होंने कहा कि जमशेदपुर में बच्चों के भेंगापन की भी समस्या है। इसके लिए आवश्यकता है कि जब अभिभावक को लगे कि उसके बच्चे में भेंगापन है तो उसे तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखायें इसे बचपन में ही ठीक किया जा सकता है।

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