शहर में जहर उगल रहे 24 हजार वाहन
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सड़कों पर 15 साल पुराने डीजल वाहनों को चलाने पर रोक लगा दी है, लेकिन शहर में आज भी पांच लाख वाहनों में से 24 हजार से अधिक पुराने वाहन दौड़ रहे हैं, जो वायु प्रदूषण को खतरनाक...
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सड़कों पर 15 साल पुराने डीजल वाहनों को चलाने पर रोक लगा दी है, लेकिन शहर में आज भी पांच लाख वाहनों में से 24 हजार से अधिक पुराने वाहन दौड़ रहे हैं, जो वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर पर पहुंचा रहे हैं। ये वाहन 15 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं।
वायु प्रदूषण रोकने के लिए शहर में अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। झारखंड सरकार और जिला प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं है। खटारा वाहनों से निकलने वाले धुएं लोगों को आंखों और फेफड़े की बीमारी दे रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जिले में अबतक पुराने डीजल वाहनों की श्रेणी तय नहीं की गई है और न ही पुराने वाहनों पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। वायु प्रदूषण फैलाने वालों में पुराने वाहनों के अलावा डंपर, ट्रक ट्रेलर, ट्रैक्टर सहित अन्य भी शामिल हैं।
सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाहनों से होते हैं
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक एसके झा का कहना है कि पुराने वाहनों के धुएं से सबसे अधिक वायु प्रदूषण होता है, जिसकी नियमित जांच होनी चाहिए। इसके लिए सभी लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। वैसे भी शहर में वायु प्रदूषण की दर 120 तक पहुंच गई है। शहर में अबतक 350 आरएसपीएम तक प्रदूषण की दर रिकॉर्ड की जा चुकी है। पुराने वाहनों पर नियंत्रण होने पर प्रदूषण बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
नहीं होती नियमित पुराने वाहनों की जांच
शहर में पुराने वाहनों की नियमित जांच नहीं की जाती है। जांच के नाम पर औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं, जबकि हर दिन सड़क पर सैकड़ों वाहन जहरीला धुआं उगलते हुए दौड़ते हैं, पर उन्हें प्रशासन रोकने की हिमाकत नहीं कर पाता है। शहर में 36 पेट्रोल पंपों में से 16 पर प्रदूषण जांच केंद्र हैं, जहां जांच कराने के लिए भारी वाहन दिन में नहीं पहुंच पाते हैं।
1300 वाहनों को नोटिस जारी किया गया है
जिला परिवहन विभाग ने लगभग 1300 पुराने वाहनों को नोटिस भेजा है। किसी ने फिटनेस टेस्ट नहीं कराया तो किसी ने परमिट रिन्युअल नहीं कराया है। अभी तक 4000 वाहनों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस किया गया है।
