मामला लंबित था तो आयोग कैसे बना लिया, हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार से मांगा जवाब; क्या है मामला
अदालत ने सरकार को शपथपत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। शुक्रवार को सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय ने सरकार से पूछा कि जब हाईकोर्ट में मामला लंबित है, तो इसकी जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन कैसे कर दिया गया। आयोग के गठन की अनुमति हाईकोर्ट से क्यों नहीं ली गई। अदालत ने सरकार को शपथपत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि हाईकोर्ट भवन और अन्य भवन निर्माण में हुई गड़बड़ी की जांच को लेकर सरकार गंभीर है। इसकी जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन कर जांच करने को कहा गया है। इस पर अदालत ने पूछा कि जब मामला हाईकोर्ट में लंबित है, तो इसकी जांच के लिए आयोग का गठन कैसे कर दिया गया। इस संबंध में अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका दायर की है।
साहिबगंज जलापूर्ति में सचिव तलब
उधर साहिबगंज में पाइपलाइन जलापूर्ति योजना अब तक शुरू नहीं होने पर शुक्रवार को हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी और पेयजल और स्वच्छता सचिव को सोमवार को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया। अदालत ने सचिव से यह बताने को कहा है कि इलाके के लोगों को सरकार क्यों प्यासा ही रखना चाहती है। कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2017 में ही रेलवे से एनओसी मांगी गई थी, जिसके बाद सात साल तक सरकार की ओर से कोई पहल क्यों नहीं की गयी। जब पाइपलाइन जलापूर्ति शुरू नहीं हुई, तो प्रार्थी ने दोबारा जनहित याचिका दायर की है।
जलापूर्ति योजना वर्ष 2012 से चल रही
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने खंडपीठ को बताया कि साहिबगंज में पाइपलाइन जलापूर्ति योजना वर्ष 2012 से चल रही है। पूर्व में भी जनहित याचिका दायर की गयी थी, जो आदेश के साथ वर्ष 2016 में निष्पादित हो गयी थी। जब पाइपलाइन जलापूर्ति शुरू नहीं हुई, तो प्रार्थी ने दोबारा जनहित याचिका दायर की है। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सिद्धेश्वर मंडल ने जनहित याचिका दायर कर पाइपलाइन जलापूर्ति योजना को शीघ्र चालू करने का आग्रह किया है।
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