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शिलान्यास के सात साल बाद भी नहीं बनी सड़क, ग्रामीणों ने उठाया जिम्मा

इचाक प्रखंड मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर है दाढ़ीघागर पंचायत का गर्दीह गांव के अंतर्गत पांच टोले हैं। इन टोलो में जनजाति समुदाय के लोगों की बहुलता...

इचाक प्रखंड मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर है दाढ़ीघागर पंचायत का गर्दीह गांव के अंतर्गत पांच टोले हैं। इन टोलो में जनजाति समुदाय के लोगों की बहुलता...
1/ 2इचाक प्रखंड मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर है दाढ़ीघागर पंचायत का गर्दीह गांव के अंतर्गत पांच टोले हैं। इन टोलो में जनजाति समुदाय के लोगों की बहुलता...
इचाक प्रखंड मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर है दाढ़ीघागर पंचायत का गर्दीह गांव के अंतर्गत पांच टोले हैं। इन टोलो में जनजाति समुदाय के लोगों की बहुलता...
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हिन्दुस्तान टीम,हजारीबागSun, 05 Feb 2023 01:40 AM
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इचाक प्रतिनिधि। इचाक प्रखंड मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर है दाढ़ीघागर पंचायत का गर्दीह गांव के अंतर्गत पांच टोले हैं। इन टोलो में जनजाति समुदाय के लोगों की बहुलता है। इन टोलो में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां बसने वाले आदिवासी परिवार के लोग सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या से सात दशक से जूझते आ रहे हैं। लोगों के समस्याओं को देखने वाला कोई नहीं है। वर्ष 2016 में तत्कालीन सांसद रविद्र राय और विधायक जानकी प्रसाद यादव की ओर से फूफनदी से गर्दीह तक सात किलोमीटर पथ निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। आधारशिला रखने के सात साल बाद भी सड़क का निर्माण होने नहीं होने से लोगों ने एकजुटता का परिचय देते हुए शनिवार को दादीघाघर, धरहरवा, सलूजाम, गंगादाह और धबरूबेड़ा के दर्जनों महिला पुरुष हाथों में कौड़ी कुदाल और तगड़ी लेकर सड़क पर उतर आए । लोगों ने बताया कि स्वयं सड़क मरम्मत करने की प्रेरणा संस्था मानव विकास के सचिव बीरबल प्रसाद, कार्यकर्ता लालजी सोरेन और मुखिया नंद किशोर कुमार से मिला। हम ग्रामीणों ने ठाना कि समस्या के लिए समस्याओं के निदान के लिए सरकार और जनप्रतिनिधियों के आश्वासन पर भरोसा नहीं करते हैं । लोग सिर्फ वोट के समय वादे करते हैं लेकिन नतीजा सिफर है। लोगों ने बताया कि कच्ची पहाड़ी जंगली पथरीली और नदी नालों से भरी हुई दुर्गम पथ होने के कारण बीमार बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के अलावा स्कूली छात्र छात्राओं को कठिनाई का का सामना करना पड़ता है । बताया कि कई दफा ऐसा हुआ है कि गर्भवती गांव के पुरुष डोली खटोली के सहारे अस्पताल तक ले जाते हैं ऐसे में प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाओं की दशा कैसी होगी इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। लोगों ने कहा कि 2024 में सांसद का आम चुनाव होने वाला है। इस क्षेत्र में वोट मांगने आने वाले प्रत्याशियों का लोग मिलकर विरोध करेंगे। इससे भी काम नहीं बनी तो आने वाले समय में वोट का बहिष्कार किया जाएगा।

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