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दुःखद: इसबार बकरीद पर अब्बा नहीं उनकी लाश आई

इसबार बकरीद पर अब्बा नहीं उनकी लाश आई, परिजनों और पड़ोसियों की बकरीद की सारी खुशियां काफूर हो गयी। उनपर विपत्ति का पहाड़ टूट गया। बंगाल के हुबली के...

दुःखद: इसबार बकरीद पर अब्बा नहीं उनकी लाश आई
हिन्दुस्तान टीम,हजारीबागThu, 22 Jul 2021 03:03 AM
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दारू प्रतिनिधि

इसबार बकरीद पर अब्बा नहीं उनकी लाश आई, परिजनों और पड़ोसियों की बकरीद की सारी खुशियां काफूर हो गयी। उनपर विपत्ति का पहाड़ टूट गया। बंगाल के हुबली के चनानगर से बुलेट से दारू के लिए चले थे पर बदकिस्मती से हाइवा की चपेट में आ गए। रात दो बजे उन्हें मिट्टी दी गयी। दारू जबरा के 45 वर्षीय इसराफिल की मौत सड़क हादसे में 19 जुलाई को वर्द्धमान के गलसी में हो गई। यह हादसा 19 जुलाई को 10 बजे दिन में हुई थी। हादसा होने के बाद उनके परिजनों को जानकारी दी गई। परंतु बिना प्रमाण के बंगाल पुलिस लाश नहीं दे रही थी। जबरा से सारा प्रमाण ईमेल के द्वारा देने पर लाश दी गई। तब जाकर 20 जुलाई को पोस्टमार्टम के बाद रात दो बजे इसराफिल को मिट्टी दी गई। सभी के आंख में आंसू थे। रात होने के बावजूद सभी लोग मिट्टी देने पहुंचे। इससे जबरा में बकरीद की खुशियां मातम में बदल गई। इसराफिल का चनानगर में अपना मोटर का गैरेज था। बंगाल के हुबली के चनानगर से बुलेट से दारू के लिए चले थे पर बदकिस्मती से वह गलसी में हाइवा की चपेट में आ गए। बहुत सारी उम्मीदें के साथ इसराफिल गांव लौट रहे थे। परंतु सभी उम्मीदें पर पानी फिर गया। घर वालों की भी उनसे उम्मीदें थी। बच्चे अब्बा के आने का इंतजार कर रहे थे कि वह आएंगे और बकरीद ख़ुशी से मनाएंगे। परंतु वह आए नहीं उनकी लाश पहुंच गई। उनके एक बेटा और एक बेटी है। बेटा के शादी की भी बात करनी थी। वह घर के इकलौते कमाऊ सदस्य थे।

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