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कवि सम्मेलन: व्यंग्य की चलीं पिचकारियां, हास्य की बरसीं फुहारें

हिन्दुस्तान हास्य कवि सम्मेलन ठहाका में श्रोताओं की उमड़ी भीड़। अजय अटापुटू ने राजनीति पर तंज व अनोखे अंदाज में व्यंग्य कसा। कविता पाठ करते उन्होंने दर्शकों को सुनाया कि अभी न समझेगा वो सियासत, अभी तो...

कवि सम्मेलन: व्यंग्य की चलीं पिचकारियां, हास्य की बरसीं फुहारें
हिन्दुस्तान टीम,हजारीबागMon, 26 Feb 2018 01:03 AM
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हिन्दुस्तान हास्य कवि सम्मेलन ठहाका में श्रोताओं की उमड़ी भीड़। अजय अटापुटू ने राजनीति पर तंज व अनोखे अंदाज में व्यंग्य कसा। कविता पाठ करते उन्होंने दर्शकों को सुनाया कि अभी न समझेगा वो सियासत, अभी तो बंदर नया-नया है। की संस्कृति के सामने बौना बताया। कहा कि कवि सिर्फ हंसाते ही नहीं हैं, बल्कि वे संस्कार, शिक्षा और राष्ट्र की भी बात बताते हैं। लोगों को हंसाने के साथ शिक्षित भी करते हैं। भारत के दुश्मनों की बात कहते उन्होंने कविता पाठ किया। सुनाया कि जब चाहे जैसे मारे या खुली छुट दें सैनिकों को . . . जैसी कविता से नगर भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। फिर सुनाया कि अहिंसक होकर कोई युद्ध नहीं जीती जा सकती।

नगर भवन में रविवार को हिन्दुस्तान अखबार का हास्य कवि सम्मेलन ठहाका में श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इसमें देश के जाने-माने कवि प्रताप फौजदार, गौरी मिश्रा, अजय अटापू और सुरेंद्र यादवेंद्र की हास्य कविताओं पर हंसी के फब्बारे छुटते रहे। हास्य-व्यंग्य की फुलझड़ियों ने श्रोताओं को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया। व्यंग्य की पिचकारियां चली और हास्य की फुहार बरसी। कवियों ने फिल्मी गीतों पर भी निशाना साधा। अखबारों को भी अपने टारगेट में लिया। कवियों ने वे खबर छपवा दो, अखबार में पोस्टर लगवा दो बाजार में गीत पर टिप्पणी किया कि हीरो प्यार कर रहा है कि चुनाव लड़ने जा रहा है। इसी तरह मैं ऐसा क्या हूं, मेरे दिल के टुकड़े हजार हुए, पर्वतों से आज में टकरा गया जैसे गीतों पर ऐसी पैरोडी हुई कि श्रोता हंसते-हंसते लोटपोट हो गए। संचालन कर रहे कवि अजय अटापुटू ने अपने मजकिया अंदाज से श्रोताओं को खुब गुदगुदाया। कवि सम्मेलन में बड़ी संख्या में शहर के बुद्धिजीवियों, सांस्कृति कर्मियों, महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने भी इस कार्यक्रम का आनंद उठाया।

सरस्वती वंदना से गौरी मिश्रा ने सबका दिल जीता

कार्यक्रम की शुरूआत नैनीताल से आयी कवियित्री गौरी मिश्रा के सरस्वती वंदना से हुई। उन्होंने जैसे ही मां शारदे की वंदना शुरू की श्रोता भावविभोर हो उठे। उन्होंने सुनाया शब्दों को संवार दे, अर्थ को निखार दे, पंक्तियों को प्यार दे, आज मां सरस्वती . . . . के बोल छेड़कर सबका दिल जीत लिया। इसके बाद हास्य कवि सम्मेलन की महफिल सजी और कार्यक्रम अपने रंग में आने लगा। फिल्म, राजनीति, बाबाओं के कारनामें, राजनीतिज्ञों की तिकड़मो पर खूब व्यंग्य की पिचकारियां चली। हर कविता के साथ श्रोताओं का होलियाना मूड परवान चढ़ता रहा।

राजनेता पर व्यंग्य के उड़े रंग-गुलाल

होली के रंग में व्यंग्य के रंग-गुलाल से कोई अछूता नहीं रहा। फिर नेता कैसे बचते। कवियों ने राजनेताओं पर खूब चुटकी ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालू यादव, ममता बनर्जी, मायावती, नीतीश कुमार पर कवियों ने व्यंग्य के खूब रंग-गुलाल लगाया। कवियों ने बाबाओं के कारनामों पर चुटकी लेते उनके करतूतों को उजागर किया। कवि अजय अटापुटू ने राजनीति पर तंज व अनोखे अंदाज में व्यंग्य कसा। कविता पाठ करते उन्होंने दर्शकों को सुनाया कि अभी न समझेगा वो सियासत, अभी तो बंदर नया-नया है।

तुम्हार चक्कर नया-नया है ...

अजय अटापुटू ने सुनाया कि नया है चश्मा, नया मोबाइल, ये फोन नंबर नया-नया है, तुम्हारी आंखें बता रही है, तुम्हार चक्कर नया-नया है। उन्होंने आगे सुनाया मैं फरवरी में मिला था उससे, वो थी सितंबर तक आंखें मीचे, सुनी नवंबर में बात मेरी, तभी दिसंबर नया-नया है। कवियों की हंसी फुहारों से कोई नहीं बचा। सुरेंद्र यादवेंद्र ने चुटकी ली कि सारे पागलखाने झारखंड के हिस्से में आ गए और सारे पागल बिहार में रह गए।

सीमा पर मर-मिटने वाले शहीदों को याद किया

कवि सम्मेलन में सीमा पर मर-मिटे शहीदों को याद किया गया। सुरेंद्र यादवेंद्र नू कविता सुनायी। उस दिन भारत की माटी का जर्राजर्रा रोया था, जिस दिन हमने हनुमनथप्पा को खोया था। उन्होंने पाकिस्तान को भी चुनौती दी . . . कहा कि दोनों वक्त जितना खाता है पाकिस्तान, उतना हम यहां जूठा छोड़ देते हैं। जितने के टैंकर तमंचे हैं तेरे, उतना तो यहां के बच्चे दीपावली के पटाखे फोड़ देते हैं। इस पर दर्शकों ने दिल खोलकर तालियां बजायी।

हंसने-हंसाने से स्वस्थ मनोरंजन होता है : जयंत सिन्हा

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा कार्यक्रम शुरू होने से पहले हास्य कवि सम्मेलन में पहुंच गए। मौके पर वक्ताओं ने इसकी भारी प्रशंसा की। कवियों ने कहा कि अच्छे दिन आ गए हैं इसकी यह पहचान है। उन्होंने कवियों के अच्छे दिन आने की उम्मीद जताई। हजारीबाग कवि सम्मेलन की शुरुआत करते हुए नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि हंसना बहुत जरूरी है। इससे स्वस्थ मनोरंजन होता है। कार्यक्रम कार्यक्रम का उन्होंने दीप प्रज्वलन कर उद्घाटन किया। पूर्व सांसद योजना मौके पर पूर्व सांसद यदुनाथ पांडे हजारीबाग भाजपा के जिलाध्यक्ष टुन्नू गोप राजद के जिला अध्यक्ष भुवनेश्वर पटेल संजर मलिक समेत कई लोग मौजूद थे।

हंसा कर लोगों को खुशी देना मिशन है: कवि सुरेंद्र यादवेंद्र

हंसा कर लोगों को खुशी देना मिशन भी है। एम्वीशन भी है। दूसरों को हंसाना समाज सेवा है। इसलिए सभी को मुस्कान बिखेरना चाहिए। उक्त बातें देश के चर्चित कवि सुरेंद्र यादवेंद्र ने कही। वे हिन्दुस्तान से खास बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आज कार्यस्थल, घर परिवार, समाज में हर जगह मानसिक तनाव है। अपने रिश्तेदार लोगों को अपने व्यवहार से ज्यादा दुखी कर रहे हैं। इससे लोग हंसना भूल गए हैं। ऐसे में हास्य कवि सम्मेलन लोगों को मानसिक तनाव दूर करने का माध्यम बन गया है। हंसाकर लोगों का तनाव दूर करने में काफी मजा आता है।

डाक्टर जैसे तन का वैसे कवि इलाज करते हैं मन का: अजय

छतीसगढ़ के रहनेवाले मुंबई में अपने लाफिंग के कारण टीवी के चर्चित हास्य कवि अजय अटापुट्टू ने कहा कि डॉक्टर जैसे तन का वैसे कवि मन का इलाज करता है। बढ़ते तनाव के दौर में हास्य कवि सम्मेलन की मांग बढ़ी है। नई पीढ़ी का आकर्षण बढ़ा है। यह अच्छी बात है। यह हास्य कविता का ही प्रभाव है।

गीत गजल श्रृंगार रस का प्रमुख विधा: गौरी मिश्रा

गौरी मिश्रा देश की व्यस्त व चर्चित कवियित्री हैं। जिसने कम समय में देश के बड़े-बड़े मंचों पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उन्होंने कहा कि श्रृंगार रस की प्रमुख विधा गीत व गजल है। इसलिए गीत व गजलों के माध्यम से लोगों को हंसाना चाहता हूं।

हास्य के माध्यम से करते हैं राजनीति पर व्यंग्य: प्रताप

दिल्ली के रहनेवाले प्रताप फौजदार टीवी के चर्चित शो लाफ्टर चैंप के चैंपियन रहे हैं। उनका चर्चित टीवी शो लपेटे में नेताजी पूरे देश में चर्चित हुआ है। वे कहते हैं हास्य के साथ व्यंग्य का संयोग जागरूक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए हास्य के माध्यम से वे राजनीति और व्यवस्था पर व्यंग्य करते हैं।

बाबाओं के कारनामों पर ली चुटकी

कवि सुरेंद्र यादवेंद्र ने बाबाओं के कारनामों पर चुटकी लेते सुनाया कि बाबा बोले अत्याचार हमपर हुआ है यार, सरकार अब अपनी बनाएंगे। निर्मल बाबा को राष्ट्रपति और पीएम रामरहीम को बनाएंगे। बाबाओं की चली सरकार, चलेगी धुंआधार, नेता बैठक कर मंजीरे बजाएंगे।

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