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तिसरी: पुराने मुखिया को नकार नए चेहरे पर जताया भरोसा

पर भरोसा जताने का काम किया है। तिसरी प्रखण्ड में कुल 15 पंचायत है जिसमे खरखरी और गुमगी पंचायत को छोड़कर तिसरी सहित चन्दौरी, बेलवाना, खटपोक, पलमरुआ,...

तिसरी: पुराने मुखिया को नकार नए चेहरे पर जताया भरोसा
हिन्दुस्तान टीम,गिरडीहSat, 28 May 2022 03:10 PM
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तिसरी, संजीत सिन्हा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में तिसरी प्रखण्ड की जनता ने पुराने मुखिया को सिरे से नकार दिया है और नए चेहरे पर भरोसा जताने का काम किया है। तिसरी प्रखण्ड में कुल 15 पंचायत है जिसमे खरखरी और गुमगी पंचायत को छोड़कर तिसरी सहित चन्दौरी, बेलवाना, खटपोक, पलमरुआ, लोकाय, मनसाडीह, थानसिंहडीह, सिंघो, गड़कुरा, बरवाडीह, खिजुरी और भंडारी आदि पंचायतों की जनता ने पुराने मुखिया को चुनाव में धूल चटाकर सिरे से खारिज कर दिया। वहीं नए चेहरे पर भरोसा जताकर जीत दिलाने का काम किया है। इस बार पूरे प्रखण्ड में चुनाव के पूर्व से ही बदलाव की लहर थी। क्षेत्र की जनता ने पहले से ही ठान रखा था कि इस बार पुराने मुखिया को ठिकाना लगाना है और नए व योग्य व्यक्ति को मुखिया बनाना है। चुनाव के पूर्व एक स्लोगन बहुत ही वायरल हो रहा था कि मिलजुल कर ही सफल हर प्रयास होगा और मुखिया ईमानदार होगा, तभी तो पंचायत का विकास होगा। इसी की तर्ज पर जनता ने बदलाव की नीयत से अपने-अपने पंचायत में नए व्यक्ति को मुखिया और पंचायत समिति सदस्य बनाने का काम किया है।

हालांकि जिला परिषद पद से तिसरी प्रखण्ड के उत्तरी छोर से समाजसेवी किशुन यादव की पत्नी प्रमिला देवी और दक्षिणी छोर से रामकुमार राउत ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कराई है। वहीं खरखरी पंचायत से पूर्व मुखिया रवींद्र राय उर्फ रवि राय की पत्नी रूपा देवी और गुमगी पंचायत से पूर्व मुखिया केसरी देवी की पतोहू और महेश यादव की पत्नी सोनी यादव ने जीत हासिल की है। खरखरी पंचायत में इसके पहले रवींद्र राय मुखिया थे। लेकिन यह सीट महिला के लिए सुरक्षित होने पर रवींद्र राय की पत्नी रूपा देवी चुनाव लड़कर प्रखण्ड में सबसे अधिक मतों से विजय हुईं। रूपा देवी ने अपने प्रतिद्वंदी को 1910 वोटों से मात देकर ऐतिहासिक जीत दर्ज कराई है। वहीं तिसरी पंचायत से किशोरी साव प्रखण्ड में दूसरे स्थान पर रहें। किशोरी साव को कुल 2451 मत प्राप्त हुए। किशोरी अपने प्रतिद्वंदी को 1469 मतों से पराजित किया है। बहरहाल, तिसरी की जनता ने बदलाव की कहानी लिख दी है। इसके पीछे मनरेगा योजना हो या पीएम आवास सभी योजनाओं में 5 से 10 प्रतिशत कमीशन मुख्य कारण बना। जिसे दिए बगैर जनता का कोई भी काम नही होता था। हद तो तब हो गयी जब मुखिया गरीबों से भी पीएम आवास में 10 हजार रुपये घूस लेने लगे।

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