बेंगाबाद: रेशम की खेती भाग्य चमका रहे हैं किसान
बेंगाबाद में रेशम की खेती किसानों को रोजगार और आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना रही है। किसान 35 से 40 दिनों में 25 से 40 हजार रुपए तक कमा रहे हैं। परियोजना प्रबंधक ने बताया कि रेशम कीट पालन में 450 से...

बेंगाबाद। रेशम की खेती किसानों को रोजगार उपलब्ध करा रही है। रेशम की खेती से प्रति किसान 35 से 40 दिनों मे 25 से 40 हजार रुपए तक की आमदनी कर रहे हैं। बड़ी संख्या में किसान रेशम की खेती से जुड़कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं। रोजगार सृजन के क्षेत्र में पुरुष एवं महिला कृषकों के लिए रेशम की खेती या रेशम कीट पालन वरदान साबित हो रहा है। रेशम की खेती कर बहुत ही कम समय में अधिक आमदनी की जा सकती है। परियोजना प्रबंधक पंकज कुमार प्रजापति, सहायक प्रमोद साह और रोहित कुमार रजक ने हिन्दुस्तान से कहा कि जुलाई से ही रेशम कीट पालन यानि की रेशम खेती की शुरुआत हो जाती है।
रेशम कीट पालन के लिए बेंगाबाद अग्र परियोजना से किसानों को रेशम कीट के लिए अंडा उपलब्ध कराया जाता है। निर्धारित समय तक अंडा किसान के घरों तक भी पहुंचाया जाता है। किसानों को समय पर अंडा नहीं पहुंचाने पर अंडा से कीट निकलना शुरू हो जाता है। रेशम कीट का रख रखाव एवं कीट को जंगल में छोड़ने तथा कीट की निगरानी करने की जिम्मेवारी रेशम कीट पालकों की होती है। कहा कि रेशम की खेती के लिए अबतक लगभग 450 किसानों के बीच अंडा का वितरण कर दिया गया है। कहां कहां की जा रही है रेशम की खेती : परियोजना प्रबंधक व सहायक ने कहा कि प्रखंड क्षेत्र के सिधवासिंगा, लोधरातरी, वन विशनपुर, बांसजोर, महुटांड़, रतुआडीह, गगनपुर, बरियारपुर , लफरीटांड़, कुम्हरिया,भलकुदर, साठीबाद सहित अन्य जगहों पर रेशम कीट का पालन हो रहा है। यानी इन जगहों पर बड़े पैमाने पर रेशम की खती की जा रही है। कहा कि मौसम अनुकूल रहने पर बेहतर रेशम उत्पादन की उम्मीद है। रेशम की खेती से 450 से अधिक किसान जुडे हुए हैं। रेशम कीट की सुरक्षा के लिए परियोजना से किसानों को बड़े बड़े आकार की मच्छरदानी भी उपलब्ध करायी जाती है। ताकि पेड़ों पर रेशम कीटों को सुरक्षित पाला जा सके। रेशम कीट पालन के लिए आसन और अर्जुन के पेड़ सर्वोत्तम होता है। कहा कि अंडा से रेशम कीट निकलते ही वह पत्ता तलाश करने लगता है। आसन और अर्जुन के पत्ती रेशम कीट का मुख्य आहार है। कीट बड़ा होने के बाद वह कोकुन का रुप धारण कर लेता है। बेंगाबाद की रेशम की क्वालिटी है बेहतर : अन्य जगहों की अपेक्षा बेंगाबाद प्रखंड क्षेत्र में तैयार रेशम कोकुन और उससे निकलने वाली रेशा की क्वालिटी काफी बेहतर मानी जाती है। बताया जाता है कि कुछ वर्ष पूर्व रेशम उत्पादन के क्षेत्र में बेंगाबाद का विदेशों में भी डंका बजता था लेकिन किसी कारणवश रेशम उत्पादन की गति में कमी आ गई है। बतला दें कि बेंगाबाद में होनेवाली रेशम की खेती के रिसर्च के लिए विदेशों से लोग पहुंचते थे और रेशम उत्पादन के क्षेत्र में बेंगाबाद को हब माना जाता था। रेशम उत्पादन में क्रांति लाने की जरुरत है। जिससे अधिक से अधिक किसानों को रोजगार का अवसर मिल सके।

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