85 वर्षों में नहीं खुली वैज्ञानिक की तिजोरी
महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की बंद तिजोरी का रहस्य पिछले 85 वर्षों में नहीं खुल सका है। यह तिजोरी गिरिडीह के झंडा मैदान के समीप स्थित विज्ञान भवन...

महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की बंद तिजोरी का रहस्य पिछले 85 वर्षों में नहीं खुल सका है। यह तिजोरी गिरिडीह के झंडा मैदान के समीप स्थित विज्ञान भवन में मौजूद है। इसी भवन में 23 नवंबर 1937 को जेसी बोस ने आखिरी सांस ली थी। इसके बाद से उनकी तिजोरी आज तक बंद है। 2 बार इसे खोलने को लेकर स्थानीय जिला प्रशासन के स्तर पर विचार-विमर्श हुआ। इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को गिरिडीह आमंत्रित करने की योजना बनी। किन्हीं कारणों से वो नहीं आ सके, तो तिजोरी अब तक नहीं खुल सकी है।
विभान भवन में तिजोरी के आलवा एक ओर सूक्ष्म तरंग डिटेक्टर की प्रतिकृति का मॉडल है, तो दूसरी तरफ केस्कोग्राफ की प्रतिकृति का मॉडल। इन दोनों का आविष्कार बोस ने ही किया था। बोस की खोज केस्कोग्राफ वो यंत्र है, जिससे पता चला था कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। यहां जगदीश चंद्र बोस की बाल्यावस्था, युवावस्था के साथ-साथ शोध और अनुसंधान के दौरान उनकी विभिन्न गतिविधियों से संबंधित तस्वीरें रखी गई हैं।
