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अवैध कारोबार के लिए सेफ जोन बन गए हैं तिसरी के सुदूरवर्ती गांव

तिसरी प्रखंड में माइका, पत्थर, शराब और लकड़ी का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। माफिया तत्वों द्वारा बड़े पैमाने पर खनिजों का उत्खनन किया जा रहा है, जबकि मजदूरों की स्थिति दयनीय है। पुलिस और प्रशासन...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहSat, 28 Dec 2024 04:52 PM
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अवैध कारोबार के लिए सेफ जोन बन गए हैं तिसरी के सुदूरवर्ती गांव

तिसरी, प्रतिनिधि। तिसरी प्रखंड माइका, पत्थर, शराब और लकड़ी जैसे अवैध कारोबार के लिए सेफ जोन बन गया है। तिसरी में पत्थर, माइका और शराब का प्रतिमाह करोड़ों का अवैध कारोबार होता है। लेकिन सरकार के खाते में फूटी कौड़ी भी नहीं जाती है। माफिया तत्व के लोग तिसरी प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े वन भूखंड पर धड़ल्ले से अवैध खदान संचालित कर माइका और पत्थर का अवैध उत्खनन करवाने का काम करते हैं। लेकिन जान हथेली पर लेकर मौत की मांद रुपी खदानों से पत्थर, माइका आदि निकालने वाले मजदूरों की स्थिति आज भी फटेहाल है। मजदूरों के आगे दो जून की रोटी के लाले पड़े रहते हैं। वहीं इस गोरखधंधे से जुड़े लोग रातोंरात मालामाल हो रहे हैं।

बहरहाल, माफिया तत्व के लोगों के द्वारा माइका और पत्थर आदि खनिज सम्पदाओं का अवैध उत्खनन करवाकर वन विभाग की नाक के नीचे से तस्करी करवाने का काम किया जाता है। जानकारों की मानें तो वन विभाग की जानकारी में खनिज सम्पदाओं की तस्करी को अंजाम दिया जाता है। जिसकी बानगी चंदली, हेठली कन्हाय सहित मनसाडीह, गड़कुरा, पचरुखी, खटपोक, चरकी आदि गांवों के जंगलों में देखने को मिलती है। जहां से गोरखधंधे को अंजाम दिया जाता है। हालांकि, पुलिस-प्रशासन और वन विभाग द्वारा पिछले ढाई साल पहले लगातार अवैध खदानों और अवैध माइका फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। जिससे अवैध माइका और अवैध पत्थर के कारोबारियों के हाड़ हिल गए थे। तिसरी पुलिस और वन विभाग द्वारा नकेल कसे जाने के कारण कुछ दिनों तक तिसरी प्रखंड में अवैध माइका और पत्थर का कारोबार बंद था किंतु इधर कुछ दिनों से तिसरी और गावां प्रखंड में माइका, पत्थर, शराब और लकड़ी का कारोबार फिर से फलने-फूलने लगा है।

सुदूरवर्ती इलाकों से की जाती है अवैध शराब और स्प्रिट की तस्करी

तिसरी और गावां प्रखण्ड से बिहार ले जाकर अवैध शराब और बड़े पैमाने पर स्प्रिट की तस्करी की जाती है। इस कारोबार का सेफ जोन खिजुरी उज्जवे आदि कई गांव बना हुआ है। उज्जवे गांव बिहार की सीमा पर अवस्थित है। तस्कर तिसरी और गावां से शराब लेकर उज्जवे जाते हैं। इसके बाद उज्जवे से शराब की तस्करी बिहार की जाती है। इस धंधे में काफी कमाई होने की बात बताई जाती है जिसके कारण लोग पैसा कमाने के लिए शॉटकर्ट रास्ता अपना कर गलत कार्य कर रहे हैं। इधर, खिजुरी में पुलिस-प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर स्कूल की आड़ में अवैध शराब और स्प्रिट का कारोबार किया जा रहा था। चार दिन पहले तिसरी के पुलिस और प्रशासन द्वारा छापेमारी करने के बाद इसका भंडाफोड़ हो पाया। हालांकि, छापेमारी की भनक लगते ही अवैध कारोबारी सक्रिय हो गए और कारोबारियों द्वारा छापेमारी के पहले ही रात में स्कूल में भारी मात्रा में रखे गए स्प्रिट भरे गैलन को दूसरे स्थानों पर ठिकाना लगा दिया गया था। किंतु पुलिस-प्रशासन की टीम को इसका सुराग मिलने पर खिजुरी के गवाकुरा गांव से लगभग 17 हजार लीटर स्प्रिट जब्त किया गया। सूत्रों के अनुसार, शराब बनाने और बिहार ले जाकर तस्करी करने के लिए बड़े पैमाने पर स्प्रिट रखा गया था। बताया जाता है कि खिजुरी में स्कूल की आड़ में लगभग एक साल से यह कारोबार किया जा रहा था। इधर छापेमारी के बाद अधिकारियों द्वारा स्कूल सह फैक्ट्री को सील तो कर दिया गया है। लेकिन फैक्ट्री सह स्कूल से भारी मात्रा में माइका की जब्ती के बाद भी संचालक के खिलाफ खबर लिखे जाने तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। जिसके कारण जितनी मुंह उतनी बातें हो रही है।

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