गिरिडीह: पुरनानगर पंचायत में 62 पशु शेड निर्माण में 67.50 लाख का गड़बड़झाला
गिरिडीह में पुरना नगर पंचायत के पशु शेड निर्माण में भारी गड़बड़ी सामने आई है। अधिकांश लाभुकों को जानकारी नहीं है और वेंडर ने मुखिया के सहयोग से राशि निकासी की है। अब डीसी ने मुखिया से स्पष्टीकरण मांगा...

लक्ष्मी गिरिडीह। गिरिडीह जिला मुख्यालय के पुरना नगर पंचायत में पशु शेड निर्माण में भारी गड़बड़झाला हुआ है। ज्यादातर मामलों में लाभुकों को पता भी नहीं है और वेंडर द्वारा मुखिया से साठगांठ कर राशि की निकासी कर ली गई है। हालांकि जांचोपरांत एक वेंडर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।
यह स्थिति तब है जब डीसी और डीडीसी मुख्यालय में हैं और पुरनानगर की दूरी बमुश्किल 10 किलोमीटर है। ग्रामीणों ने आवेदन में बताया है कि इस पंचायत में पुरनानगर और टिकोडीह राजस्व गांव है। इन दोनों गांवों में 2022-23 में 62 पशु शेड निर्माण की स्वीकृति मनरेगा के तहत दी गई। लेकिन अफसोस अभी तक ज्यादातर पशु शेड अधूरा है। लगभग 20 शेड ऐसा है जिसमें काम लिलटन तक भी नहीं हुआ है। कुछ शेड का काम हुआ तो वह भी आधा अधूरा है। किसी में प्लास्टर नहीं हुआ है तो किसी में नाद का निर्माण नहीं कराया गया है जबकि पैसे की निकासी हो गई है। एक शेड में 1 लाख 9 हजार रुपए का भुगतान लिया गया है। इस प्रकार 62 पशु शेड में 67 लाख 58 हजार की राशि की निकासी कर ली गई है। राशि निकासी में मुखिया का भी रोल होता है। जाहिर है कि सवाल मुखिया पर भी उठ रहे हैं।
आवेदन देनेवाले ग्रामीणों में मिथुन तिवारी, राजकिशोर दास, प्रेमचंद दास, सुरेश दास आदि के नाम प्रमुख हैं। इनलोगों ने बताया कि गत वर्ष भी पशु शेड निर्माण की जांच हुई थी। जांच रिपोर्ट में काम को पूर्ण दिखा दिया गया था। हालांकि कुछ गड़बड़ी को लेकर वेंडर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। लेकिन आश्चर्य है कि काम आज भी अधूरा है और इसे पूरी करने की हिमाकत नहीं की जा रही है। ग्रामीणों ने आवेदन डीसी को दिया है और उसकी प्रतिलिपि डीडीसी, बीडीओ और स्थानीय विधायक सह मंत्री को दी है।
मुखिया से मांगा गया है स्पष्टीकरण: ग्रामीणों के आवेदन और जांच रिपोर्ट के आधार पर डीसी ने स्थानीय मुखिया मीना देवी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। डीसी ने ज्ञापांक 2703 जि ग्रा वि दिनांक 13/12/24 में कहा है कि ग्राम पंचायत पुरना नगर में 62 पशु योजनाओं में बिना कार्य किए सामग्री का भुगतान किया गया है। अभिलेख जांच के बाद आपके स्तर पर भुगतान का आदेश दिया गया है। बिना कार्य कराए राशि का भुगतान कराया जाना स्पष्ट करता है कि आपके द्वारा सरकारी कार्य के निर्वहन में घोर लापरवाही बरती गई है। फलता इतनी बड़ी राशि का गबन हुआ है। क्यों नहीं आपकी वित्तीय शक्ति जब्त की जाए।
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