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दो दिन की बारिश के बाद भी खेतों में पानी नहीं

पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश से सम्पूर्ण मेहरमा प्रखंड के किसानों में यह आस जगी थी कि खेतों में सूख रहे बिचड़े में जान आएगी। खेतों में लबालब पानी होगा व धान की रोपाई शुरू कर देंगे।...

दो दिन की बारिश के बाद भी खेतों में पानी नहीं
हिन्दुस्तान टीम,गोड्डाTue, 24 Jul 2018 08:27 PM
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पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश से सम्पूर्ण मेहरमा प्रखंड के किसानों में यह आस जगी थी कि खेतों में सूख रहे बिचड़े में जान आएगी। खेतों में लबालब पानी होगा व धान की रोपाई शुरू कर देंगे। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है।

मामूली रूप से खेतों में पानी दिख रहा है। जिससे क्षेत्र के किसानों में काफी निराशा है। किसानों का कहना है पानी जिस तरह पड़ा उससे हमें लगा कि लबालब पानी हो गया होगा। लेकिन इस पानी से ऊंट के मुंह मे जीरा वाली कहावत चरितार्थ हुई। जरूरत के हिसाब से पानी नहीं हुआ। हालांकि किसानों ने कहा इससे केवल इतना फायदा तत्काल जरूर हुआ कि जो धान का बिचड़ा वर्षा के अभाव मे सूख रहा था ,मर रहा था उसमें जान आ गई है। कई जगह अभी भी धरती फट रही है। किसान संघ के प्रखंड अध्यक्ष निर्मल पोद्दार, इटहरीलाल, बिहारी साह, सुड़नी उस्मान, गनी लकड़मारा, सत्य नारायण, राम प्रकाश, राम शंकरपुर, सज्जन, मदन मिश्रा व चंपा आदि जो बड़े किसान हैं।

उन्होंने बताया कि धान एवं ईख हमारी मुख्य फसल है। यह हमारी रोजी रोटी है। शादी, दवा एवं बच्चों की पढ़ाई लिखाई इसी धान की खेती पर निर्भर है। बारिश के रूख को देख हम निराश हैं। किसानों ने कहा कि सम्पूर्ण मेहरमा प्रखंड में हजारों एकड़ में धान की खेती होती है। जबकि खेतो में भी पानी नहीं है। तालाबों पोखरों में भी पानी नहीं है। ऐसे में किसान वैकल्पिक रूप से भी धान की रुपाई नहीं कर पा रहे हैं। जबकि समय बीतता जा रहा है। किसानों ने बताया कि यदि जमकर मूसलाधार बारिश नहीं हुई तो हम पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। जबकिं आदिवासी महिलाओं ने जो मामूली किसान भी हैं मेहरमा बिचला टोला की सांझली हांसदा, मंझली हांसदा, मरंगमोय मरांडी, मक्कू मरांडी आदि ने भी कहा कि धान मुख्य फसल है। साल भर इसके उपज से हमे खाने की दिक्कत नहीं होती है। परंतु वर्षाभाव में हमारा बिचड़ा सूख रहा है। मर रहा है। हममें इतनी क्षमता या सामर्थ नहीं कि हम ट्रेक्टर एवं पम्पिंग सेट से रोपा कर सकें। हम पूरी तरह प्रातिक बारिश पर निर्भर हैं।

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