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गुमला में शोहदाए कर्बला कॉन्फ्रेंस का समापन

उर्स शाहे कर्बल का इस तरह मनाना है,दिल में दर्द रखना है और मुस्कुराना है, बोल के शहीदी नात शरीफ पढ़कर शायरे ईस्लाम फैजान रजा पलामवी ने कॉन्फ्रेंस में मौजूद लोगों को नारा लगाने पर मजबूर कर दिया। आले...

गुमला में शोहदाए कर्बला कॉन्फ्रेंस का समापन
हिन्दुस्तान टीम,गुमलाSun, 22 Sep 2019 11:39 PM
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उर्स शाहे कर्बल का इस तरह मनाना है,दिल में दर्द रखना है और मुस्कुराना है, बोल के शहीदी नात शरीफ पढ़कर शायरे ईस्लाम फैजान रजा पलामवी ने कॉन्फ्रेंस में मौजूद लोगों को नारा लगाने पर मजबूर कर दिया। आले रसूल की कहानी,आले रसूल की जुबानी कर्बला की धरती पर ईमाम-ए-हुसैन की शहादत की पूरी दास्तान सुनने के लिए बज्मे हुसैन कमेटी गुमला के बैनर तले आयोजित पांच दिनी शोहदाए कर्बला कॉन्फ्रेंस को छह दिनी प्रोग्राम में तब्दील कर दिया गया।फलस्वरूप शुक्रवार को समापत होने वाली कॉन्फ्रेंस का समापन शनिवार को हुआ।इस संबंध में कमेटी के सदर एखलाक रब्बानी ने बताया कि श्रोताओं की मांग पर एक दिन के लिए कार्यक्रम को बढ़ाया गया।पिछले दो वर्षों से मिल रही सफलता को देखते हुए इस वर्ष भी बज्मे हुसैन कमेटी के तत्वधान में शोहदाए कर्बला कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। यह कार्यक्रम अंजुमन इस्लामियां गुमला की देख रेख में हुआ। वहीं छह दिनों तक लगातार चलने वाली शोहदाए कर्बला कॉन्फ्रेंस बाद नमाज ईशा नौ बजे शुरू होकर रात्रि 11.30 बजे तक चला।शोहदाए कर्बला कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य वक्ता शहंशाहे ख़िताबत पीरे तरीकत हजरत अल्लामा अल्हाज सैयद अहमद रब्बानी तकरीर में कर्बला की धरती पर घटित ईस्लाम की सबसे बड़ी जंग के बारे में विस्तार पूर्वक बतायी।उन्होंने यह भी बताया कि जालिम यजीद के लश्कर ने ईमाम-ए-हुसैन को शहीद कर उनके सिर को नेजे पर घोंप के प्रदर्शन कर रहे थे। इतना ही नही यजीद पानी भी बंद कर दिया था।कॉन्फ्रेंस में खानकाहे रब्बानी के और दो चश्मो चिराग सैयद अमजद रब्बानी व सैयद असद रब्बानी रौनके स्टेज थे।सैयद असद रब्बानी अपनी तकरीर में कहे कि जिनका कत्ल अल्लाह के नाम पर हो उन्हें मुर्दा न कहें वे जिन्दा हैं। मौलाना इब्राहिम रब्बानी ने भी लोगों को संबोधित किया।

मंच का संचालन हाफिज सरफराज नाजा ने की।उधर कमेटी के लोगों ने हमेशा की तरह इस बार भी महिलाओं के बैठने के लिए अलग से पर्दे के साथ व्यवस्था की थी ताकि आले रसूल की कहानी,आले रसूल की जुबानी सुन सकें।मौके पर मोती मस्जिद के ईमाम हाफिज जाहिद,अंजुमन इस्लामियां के सदर इरशाद खान,सचिव खुर्शीद आलम,जहीर रब्बानी,शमीम रब्बानी,मौलाना इब्राहिम रब्बानी,कमेटी के सदर एखलाक रब्बानी, शाहजहां रब्बानी,आमिर रब्बानी,पप्पू रब्बानी समेत कई आलीम व भारी संख्या में आशिकाने ईमामे हुसैन मौजूद थे।

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