सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने को लेकर उरांव समाज का विवाह संस्कार पर कार्यशाला
विभिन्न रस्मों में गाए जाने व पारंपरिक गीतों पर हुई चर्चा विभिन्न रस्मों में गाए जाने व पारंपरिक गीतों पर हुई चर्चाविभिन्न रस्मों में गाए जाने व पारंप

गुमला संवाददाता।सरना सामाजिक, सांस्कृतिक अखड़ा समिति के तत्वावधान में रविवार को अखड़ा भवन,सरहुल नगर गुमला में विवाह संस्कार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अना आदि प्रार्थना से हुआ। कार्यशाला में उरांव समाज की विवाह परंपराओं, रस्मों और रीति-रिवाजों पर चर्चा की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य उरांव समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना और नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ना था।कार्यशाला में बताया गया कि उरांव समाज में शादी के लिए शुभ और अशुभ महीने कौन-कौन से होते हैं। शादी कितने प्रकार से होती है। विवाह के लिए आवश्यक सामग्री और विभिन्न रस्मों में गाए जाने वाले पारंपरिक गीतों पर चर्चा की गई। विवाह के हर नेग-नेगचार को विस्तार से समझाया गया,ताकि युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेज सके। कार्यशाला में गुमला शहरी क्षेत्र के कार्तिक नगर,आदर्श नगर, रोहतास नगर,सरहुल नगर,करम टोली, शांति नगर, दुंदरिया,सोसो,करमडीपा,तेलगांव,परसा,गम्हरिया और पुग्गू सहित अन्य प्रखंडों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आयोजन को सफल बनाने में आदिवासी सरना महिला संघ गुमला का विशेष योगदान रहा। कार्यशाला का संचालन सुशील उरांव, जीतेश मिंज और बुधवा उरांव ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में केओ कॉलेज गुमला के प्रो. डॉ. तेतरू उरांव, राम लखन सिंह यादव कॉलेज रांची की सहायक प्रो. डॉ. पार्वती तिर्की, पादा पड़हा झारखंड के दीवान विश्वनाथ उरांव और डाड़ा पड़हा के कंछा उरांव ,सीता देवी, सोनो मिंज, मनिजर भगत, राजेंद्र लकड़ा और संचालन समिति की शांति मिंज, रजनी देवी, शांति देवी व बुधमनी देवी मौजूद थे।
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