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नोटबंदी में राइस मिल मालिक ने ग्रामीणों का इस्तेमाल ब्लैक मनी को व्हाइट करने में किया

धालभूमगढ़ स्थित गणेश राइस मिल के मालिक ने पूर्वी सिंहभूम के जंगलवर्ती डुमरिया प्रखंड के 5 - 6 गांवों के लोगों का इस्तेमाल नोटबंदी के समय कालाधन को सफेद करने के लिए किया...

नोटबंदी में राइस मिल मालिक ने ग्रामीणों का इस्तेमाल ब्लैक मनी को व्हाइट करने में किया
हिन्दुस्तान टीम,घाटशिलाWed, 18 Sep 2019 04:56 PM
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धालभूमगढ़ स्थित गणेश राइस मिल के मालिक ने पूर्वी सिंहभूम के जंगलवर्ती डुमरिया प्रखंड के 5 - 6 गांवों के लोगों का इस्तेमाल नोटबंदी के समय कालाधन को सफेद करने के लिए किया था। मामला कांटाशोल पंचायत क्षेत्र के हाड़दा गांव से उजागर होना शुरू हुआ है। बिरसा सेवा समिति के डा. बबलू सुंडी को जब इस गड़बड़ी का पता चला तो सोमवार को ग्राम प्रधान डुइका मुर्मू की अध्यक्षता में भुक्तभोगियों ने बैठक की।

पीड़ितों ने बताया कि नोटबंदी के दौरान इनके पड़ोस की महिला सुकमति बारी ने सबको भरोसे में लेकर पांच सौ रुपए का लालच दिया और इन्हें लेकर बैंक आफ इंडिया की धालभूमगढ़ ब्रांच ले जाकर अकाउंट खोलवाया। ग्रामीणों को इतने साल बाद अब जाकर परेशानी तब शुरू हुई जब पेंशन या अन्य सब्सिडी के लिए ये लोग डुमरिया स्थित बैंक आफ इंडिया में अकाउंट खोलवाने पहुंचे। ब्रांच मैनेजर ने कहा कि बीओआई के धालभूमगढ़ शाखा में अकाउंट पहले से खुला है इसलिए यहां नया खाता नहीं खुलेगा। यानी पेंशन/सब्सिडी की राशि धालभूमगढ़ वाले अकाउंट में जा रहा है जिसका पैसा जमा करने या निकासी के लिए  इन लोगों ने कभी किया ही नहीं।

इस बारे में पूछे जाने पर आरोपी सुकमति बारी ने बिना लाग-लपेट के स्वीकार किया कि उन्होंने डेढ़ सौ से भी ज्यादा ग्रामीणों का खाता खुलवाया था। उन्होंने बताया कि वे किसान परिवार से हैं और धालभूमगढ़ स्थित गणेश राइस मिल में धान बेचती हैं। राइस मिल के मालिक ने उनसे कहा था कि कुछ ग्रामीणों का खाता खुलवाओ।  बिरसा युवा समिति के डॉ. बबलू सुंडी ने आरोप लगाया है कि राइस मिल मालिक ने भोले-भाले आदिवासियों का इस्तेमाल अपने ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए किया है। ऐसा बैंक कर्मियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। खास बात यह कि भोलेभाले ग्रामीणों को अब समझ में आया है कि मात्र पांच सौ रुपए के लालच में ये मुश्किल में फंस सकते हैं।

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