पुरानी बिल्डिंग के चार कमरे में पढ़ रहे 328 बच्चे, नई के चौखट-किवाड़ उखाड़ ले गए चोर
झारखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षा विभाग ने पहल की है। मॉडल विद्यालय के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन लापरवाही के कारण छात्रों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही...

झारखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शिक्षा विभाग ने पहल की है। इस पहल के अंतर्गत स्कूलों में पढ़ाई के तरीके को प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर बदलने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मॉडल विद्यालय खोले जा रहे हैं। इस पर सरकार भारी भरकम रुपये भी खर्च कर रही है। लेकिन सरकारी नुमाइंदों की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। हम बात कर रहे हैं घाटशिला प्रखंड परिसर में खोले गए मॉडल विद्यालय की। यहां आठ वर्ष पूर्व 2016 में मॉडल विद्यालय के नाम पर आलीशान बिल्डिंग का निर्माण कराया गया था। इस पर तकरीबन तीन करोड़ 25 लाख रुपये खर्च किये गये थे। लेकिन यह बिल्डिंग आज तक शिक्षा विभाग के हवाले नहीं सौंपा गया। अव्यवस्था का आलम यह है कि नई बिल्डिंग के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लिहाजा बिल्डिंग के चौखट-किवाड़ पर चोरों की नजर है। वे इसे उखाड़कर ले जा रहे हैं।
ऐसे में विद्यार्थी चार कमरे वाले पुराने भवन में ही छठवीं से बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई हो रही है। यहां 328 विद्यार्थी बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह विद्यार्थी पढ़ाई करते होंगे। ऐसे में सरकार द्वारा जिलों के सभी प्रखंडों में अंग्रेजी माध्यम के मॉडल विद्यालय बनाकर मेधावी बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की घोषणा हवा-हवाई बनकर रह गई है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण मॉडल विद्यालय के नाम पर खर्च किए गए रुपये बर्बाद हो रहे हैं। यह दावे के साथ कह सकते हैं कि इन भवनों में बच्चों को शिक्षा तो नहीं मिली, लेकिन भवन खंडहर जरूर होते जा रहे हैं।
दूसरी ओर प्रखंड के ही जगन्नाथपुर में 3 करोड़ 25 लाख की लागत से वर्ष 2016 में आलिशान भवन तैयार किया गया था। हालांकि इसमें भी काम अधूरा था। ऐसे में मॉडल स्कूल के प्रधानाध्यापक तरुण कुमार पाल ने भवन को हैंडओवर लेने से इनकार कर दिया। यह भवन भी खंडहर में तब्दिल होता जा रहा है। भवन की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। भवन के किवाड़, खिड़की और मुख्य गेट के ग्रिल को काटकर चोर ले जा रहे हैं।
हालांकि स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कई बार विभाग से पत्राचार कर भवन में सुविधा मुहैया कराने के लिए गुहार लगायी, लेकिन विभाग की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। प्रधानाध्यापक ने कहा कि फिलहाल छठवीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। लेकिन नए साल से नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा तक के बच्चों का नामांकन कराने का आदेश है। ऐसे में स्थिति दुरुह हो जाएगी। बता दें, इस भवन के बगल में ढ़ाई करोड़ की लागत से मॉडल स्कूल का छात्रावास का भी निर्माण शुरू हो गया है। जबकी स्कूल भवन का पता ही नहीं है। कुल मिलाकर मॉडल स्कूल में बेहतर शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन उन्हें सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है।
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