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डुमरिया में गोटपूजा के तीसरे दिन हुआ गोरू छोड़ खुंटाव

सोहराय बांदना त्योहार यानी गोट पूजा के तीसरे दिन शुक्रवार को सेरालडीह गांव में गोरू छोड़ खुटांव (आड़ाअ माहा) के दिन धान की बालियों से फूल (धांवा) बनाकर ग्राम नायके के घर से लाकर गाय-बैलों को सजाया...

डुमरिया में गोटपूजा के तीसरे दिन हुआ गोरू छोड़ खुंटाव
हिन्दुस्तान टीम,घाटशिलाSat, 10 Nov 2018 04:49 PM
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सोहराय बांदना त्योहार यानी गोट पूजा के तीसरे दिन शुक्रवार को सेरालडीह गांव में गोरू छोड़ खुटांव (आड़ाअ माहा) के दिन धान की बालियों से फूल (धांवा) बनाकर ग्राम नायके के घर से लाकर गाय-बैलों को सजाया गया। इस दिन पशुओं को रंगों से सजाया जाता है। शुक्रवार की सुबह परंपरा के अनुसार ग्राम नायके नहा-धोकर अपनी खेत में जाते हैं और धान काटकर सिर पर लादकर सीधे अपने घर में प्रवेश करते हैं। आंगन में जहां रंगोली बनी होती है वहां धान का बोझा रख दिया जाता है। उसी में धान की बालियों से गांव के लोग फूल जैसी आकृति (धावां) बनाते हैं। इसके बाद सामूहिक पूजा होता है। धमसा बजाकर पहले नायके के बैलों को छोड़ा जाता है और उसके बाद गांव के सभी किसान अपने बैलों को गोरू खुटांव के लिए खोलते हैं। शुक्रवार को हुए गोरू खुंटाव पूजा में नायके (पुजारी) कुंवर हेम्ब्रम, मोहन हेम्ब्रम, मंगल मुर्मू, कालीदास हेम्ब्रम, रामचंद्र हांसदा, लक्ष्मण हांसदा, गुलिया हेम्ब्रम, फुरमाल हेम्ब्रम, दासो मार्डी, वनबिहारी सरदार, गेड़ा हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे।

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