सुदूर जंगलवर्ती गांवों में पहले नेटवर्क ढूंढ़ो फिर राशन पाओ
सुदूर जंगलवर्ती गांवों में रहने वाले गरीबों को सरकारी राशन पाने के लिए कमोबेश हर महीने काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। विभाग ने राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया है। यानी ई-पॉश...
सुदूर जंगलवर्ती गांवों में रहने वाले गरीबों को सरकारी राशन पाने के लिए कमोबेश हर महीने काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। विभाग ने राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया है। यानी ई-पॉश मशीन पर अंगूठा लगाने के बाद ही राशन देने का नियम सख्ती से लागू किया गया है। लेकिन जंगल-पहाड़ियों के बीच रहने वाले गरीब आदिवासियों को जैसा पहले राशन के लिए रोना पड़ता था, मोटामोटी वही स्थिति अब भी बरकरार है।
नेटवर्क ढूंढ़ने में डीलर-कार्डधारी दोनों की फजीहत : पहले जविप्र दुकानदार कई बार यह कहकर वापस लौटा देते थे कि फलां माह का राशन अभी नहीं आया है। ऐसा करके दो-तीन महीने बाद कभी-कभार एक माह का राशन देकर रजिस्टर में ठप्पा लगवा लिया जाता था। अब ई-पॉश मशीन का जमाना आ गया है तो नेटवर्क का रोना है। यह रोना सिर्फ राशन कार्डधारियों के लिए ही नहीं है, दुकानदारों की भी कम फजीहत नहीं होती।
नेटवर्क मिला तो ठीक, वर्ना खाली बोरी लेकर वापस : मुसाबनी प्रखंड के फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत क्षेत्र ससांगगोड़ा गांव के राशन दुकानदार अमन मुर्मू हैं। इनके यहां से गुमदीबेड़ा, चिरुगोड़ा, पाटकीता सहित पांच गांव-टोले के लोगों को राशन मिलती है। यह पांचों गांव ससांगगोड़ा से 10 से 12 किमी के दायरे में पड़ते हैं। जब राशन का आवंटन गोदाम से होता है तो खबर पाकर कार्डधारी महिला-पुरुष पैदल या साइकिल लेकर चावल, नमक आदि लेने पहुंचते हैं। उसके बाद शुरू होता है नेटवर्क तलाशने का काम।
ई-पॉश मशीन और एक डंडा में तार बांधकर आगे-आगे राशन डीलर अमन मुर्मू जंगल-पहाड़ियों में चलते हैं और उनके पीछे राशन लेने आये महिला-पुरुष। जहां नेटवर्क मिलता है, वहां पर जल्दी-जल्दी सबके अंगूठे ई-पॉश मसीन में लगवाये जाते हैं और फिर पहाड़ी से नीचे सभी दुकान पहुंचते हैं और राशन वजन करके दिया जाता है। कोतोपा गांव के निवासी लक्ष्मण बानरा, पाटकीता निवासी विजय भूमिज सहित महिला समिति की कुछ सदस्यों ने बताया कि राशन पाना उनके लिए जंग जीतने से कम नहीं है।
नेटवर्क प्रॉब्लम एमओ लेवल की समस्या नहीं : मुसाबनी के आपूर्ति पदाधिकारी ने कहा कि ऐसे और भी इलाके हैं जंगलवर्ती गांवों में जहां नेटवर्क प्रॉब्लम है। इसे दूर करना आवश्यक है, लेकिन यह उनके लेवल की समस्या नहीं है। समय-समय पर विभिन्न प्रखंडों के आपूर्ति पदाधिकारी उच्चाधिकारी को इस समस्या की ओर ध्यान दिलाते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि विशेष परिस्थितियों में मैनुअली राशन बांटने का भी आदेश दिया जाता है।