Nishii Sharma s Discourse on the Kevat Episode during Navratri in Garhwa केवट और श्रीराम के प्रसंग सुनकर आत्मविभोर हुए श्रद्धालु, Garhwa Hindi News - Hindustan
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केवट और श्रीराम के प्रसंग सुनकर आत्मविभोर हुए श्रद्धालु

फोटो संख्या पांच: तिवारी मरहटिया में प्रवचन करती निशी शर्मा सदर प्रखंड के तिवारी मरहटिया गांव में शारदीय नवरात्र के अवसर पर हो रहे प्रवचन के छठे दिन

Newswrap हिन्दुस्तान, गढ़वाMon, 29 Sep 2025 05:27 PM
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केवट और श्रीराम के प्रसंग सुनकर आत्मविभोर  हुए श्रद्धालु

गढ़वा, प्रतिनिधि। सदर प्रखंड के तिवारी मरहटिया गांव में शारदीय नवरात्र के अवसर पर चल रहे प्रवचन में प्रवचनकर्ता निशी शर्मा ने केवट प्रसंग पर चर्चा की। केवट प्रसंग को सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता गंगा नदी के तट आए। चतूर केवट भगवान को देखकर नाव को तट से बीच नदी में ले गया। प्रभु ने सोचा कि नाव नदी के बीचोंबीच खड़ी है या नदी के इस पार रहती या उस पार। उन्होंने केवट से तट पर नाव लाने को कहा, लेकिन केवट ने नाव लाने से मना कर दिया। भगवान ने पूछा भाई क्यूं तो केवट ने कहा कि प्रभु मैं आपका रहस्य जान गया हूं।

भगवान ने पूछा तुमने क्या रहस्य जान लिया है मेरा। तब केवट ने कहा प्रभु तुम्हारे सावले चरण में बड़ा जादू है। ऋषि मुनियों से सुना है और नगर के लोग भी कह रहे थे आपके चरम रज में बड़ा जादू है। उसपर भगवान ने कहा कि क्या जादू है क्या सुना है। तब केवट ने कहा कि गौतम ऋषि की पत्नी जो शिला रूप में थी आपके चरण स्पर्श होते नारी बन गयी। केवट ने कहा कि प्रभु शिला जब नारी बन सकती है तो काठ की नौका को नारी बनने में कितना समय लगेगा। ऐसे ही परिवार के लोगों के पालन पोषण से परेशान हैं तो लकड़ी की नौका नारी बन जाए तो हम भरण पोषण कैसे करेंगे। हम तो नाव नजदीक लानेवाले नहीं हैं। प्रभु ने कहा पर नाव तो तुम्हें लाना ही होगा। दूसरी नाव भी कहीं नहीं दिख रही है। तब केवट ने कहा कि एक बात है प्रभु अगर आप पार ही जाना चाहते हैं तो एक बार हमें चरणों को धोने का अवसर दीजिए। उन्होंने कहा कि मैं धो कर देख लूंगा की कहीं वो वाला जादू तो नहीं काम कर रहा। केवट ने कठौता में जल लाने की बात कही। कठौता में आपके पैर को धो कर देखूंगा। अगर कठौता नारी नहीं बना तो मैं आपके चरण धोकर नाव में बैठा लूंगा। भगवान बहुत मुस्कराये कि बड़ा विनोदी है यह केवट। लक्ष्मण जी को केवट पर गुस्सा आया। उन्होंने उसे संभल कर बात करने की बात कही। तब केवट ने कहा कि डरने वाले नहीं हैं। ठीक है मार दो चलेगा। मैं कसम खाकर कहता हूं महाराज जब तक चरण नहीं धुलवाओगे पार नहीं करूंगा। केवट के बहुत हठ करने के बाद प्रभु ने चरण पखाने की बात कही। प्रभु ने कहा कि जल्दी चरण पखार हमे नौका में बैठाकर नदी पार कर। उसके बाद केवट ने प्रभु के चरण पखार कर नाव में बैठकर नदी पार किया।

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