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12 वर्षों से बेकार पड़ा है आईटीआई कॉलेज, छात्रों को नहीं मिल रहा लाभ

युवाओं को तकनीकी शिक्षा देने के लिए प्रखंड के झगड़ाखांड़ में तैयार आईटीआई कॉलेज बेकार पड़ा है। वर्ष 2007-08 में 3.35 करोड़ रुपए की लागत से बना उक्त भवन बगैर समुचित इस्तेमाल के रखरखाव के अभाव में अब...

12 वर्षों से बेकार पड़ा है आईटीआई कॉलेज, छात्रों को नहीं मिल रहा लाभ
हिन्दुस्तान टीम,गढ़वाSat, 20 Jun 2020 11:32 PM
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पाठक युवाओं को तकनीकी शिक्षा देने के लिए प्रखंड के झगड़ाखांड़ में तैयार आईटीआई कॉलेज बेकार पड़ा है। वर्ष 2007-08 में 3.35 करोड़ रुपए की लागत से बना उक्त भवन बगैर समुचित इस्तेमाल के रखरखाव के अभाव में अब जर्जर हो रहा है। क्षेत्र के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण उक्त कॉलेज को खोलने की चिंता न तो सरकार की रही और न ही प्रशासन की। उसका खमियाजा क्षेत्र के युवकों को उठाना पड़ रहा है। भारी भरकम सरकारी राशि खर्च करने के बाद जब कॉलेज नहीं खुल सका तो स्थानीय युवकों में मायुशी रही। बताया जाता है कि बिना इस्तेमाल के अब उसका फिर से बगैर मरम्मत कराए पढ़ाई चालू नहीं किया जा सकता। उसे चालू कराने के लिए मरम्मत में भी लाखों रुपए खर्च होने का अनुमान है। फिलहाल कागज पर उक्त कॉलेज मेदिनीनगर आईटीआई कॉलेज के सीआई साहेब शर्मा के प्रभार में चल रहा है। उससे पहले कुछ इसी तरह हजारीबाग आईटीआई के शिक्षक किशन कुमार के प्रभार में चार सालों तक चला। मालूम हो कि उक्त आईटीआई कॉलेज विधायक भानु प्रताप शाही के प्रयास से खोला गया। शुरूआती दौर में राजनीतिक विवाद की वजह से उसके संचालन में रोड़ा आया। उसके बाद विधायक शाही ने उसे चालू कराने की पहल की। उन्होंने 05 दिसंबर 2018 को उसका उद्घाटन भी किया।

क्या कहते हैं पूर्व के प्रभारी : आईटीआई कॉलेज के पूर्व के प्रभारी किशन कुमार ने बताया कि संसाधनों की कमी के चलते उसका लाभ शिक्षित युवकों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में 56 और 2017 में 34 इलेक्ट्रिशियन, और वेल्डर ट्रेड में नामांकन हुआ था। उसके बाद संसाधन की कमी के चलते सत्र 2018 में नामांकन नहीं कराया गया। उन्होंने बताया कि अब इस कॉलेज को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल जाने के बाद 2019 में 65 युवकों को इलेक्ट्रिशियन, फिटर और डीजल मैकेनिकल ट्रेड में नामांकन कराया गया है। बताया जाता है कि आईटीआई में एक प्रभारी मेदिनीनगर आईटीआई के सीआई साहेब शर्मा को 2019 से प्रभारी प्राचार्य बनाया गया। वहीं उसकी पूरी तरह से देखरेख रांची के दीपक कश्यप के अलावा हजारीबाग आईटीआई के कर्मी किशन कुमार हैं। वे यहां यदा कदा ही आते हैं। वहीं कॉलेज की सुरक्षा के लिए छह गार्ड सुनील पाठक, हृदया पाठक, चंद्रांशु पाठक, सुधीर मेहता, धर्मेन्द्र ठाकुर और अवखिलेश पाठक प्रतिनियुक्त हैं। यहां न तो बिजली है न ही पानी की व्यवस्था। जमीन का भी विवाद है। उक्त कारण उसका चहारदीवारी भी नहीं हो पा रहा है। पूर्व के प्रभारी ने जमीन विवाद के समाधान के लिए सीओ को, बिजली के लिए एसडीओ को और पानी के लिए विधायक अनुरोध किया था। उसके बाद भी अबतक उक्त समस्याओं का हल नहीं हो सका। ::क्या कहते हैं स्थानीय लोग:::स्थानीय आलोक शर्मा बताते हैं कि यहां आईटीआई खुलने से शिक्षित युवाओं में उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ेगा। सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैया के कारण यह संसाधान विहीन बना हुआ। उन्होंने कहा कि इस ओर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।मुकेश कुमार ने कहा कि यह हमारे क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा धरोहर था। उससे शिक्षित गरीब के बच्चे भी तकनीकी शिक्षा ग्रहण कर अच्छा मुकाम हासिल कर सकते थे। संसाधन की कमी के कारण कार्य संभव नहीं हो पा रहा है। इसे कारगर करने के लिए सरकार को गंभीर होने की जरूरत है।राजेश कुमार गुप्ता कहते हैं इस क्षेत्र के शिक्षित युवाओं को तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के एक मंच मिला था। यह सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। कई वर्षों में भी कॉलेज को संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। विवेक कुमार गुप्ता बताते हैं कि जिस उद्देश्य से तकनीकी शिक्षा के लिए कॉलेज खुला था वह संसाधन के अभाव में फिलहाल पूरा नहीं होता दिख रहा है। उसे धरातल पर उतारने के लिए सभी को एक मंच पर आना चाहिए ताकि तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिल सके।

इंस्ट्रक्टर का बहाली होना था। बहाली नहीं हुआ। प्रिंसिपल भी नहीं है। अभी प्रभार में चल रहा है। कॉलेज को चलाने के लिए मैनपावर और इक्विपमेंट की जरूरत है। सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि जल्द से जल्द संस्थान का लाभ स्थानीय युवाओं को मिल सके। भानु प्रताप शाही, विधायक

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