विधि व्यवस्था के मामलों में पंचायत प्रतिनिधियों की सकारात्मक भूमिका अपेक्षित: एसडीएम
गढ़वा में अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने 'कॉफी विद एसडीएम' कार्यक्रम में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से जन समस्याओं पर चर्चा की। अधिकारियों की संवेदनशीलता और जल संकट जैसे मुद्दों पर विचार...

गढ़वा, प्रतिनिधि। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने अपने एक घंटे के साप्ताहिक कार्यक्रम कॉफी विद एसडीएम में अनुमंडल क्षेत्र की पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ अपने यहां कॉफी पर अनौपचारिक संवाद किया। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित 'कॉफी विद एसडीएम' में पंचायती राज संस्थाओं के अध्यक्षों व सदस्यों को आमंत्रित किया गया था। उनके आमंत्रण पर गढ़वा सदर, डंडा, मझिआंव, मेराल सहित अन्य प्रखंडों के प्रमुख, उप प्रमुख, बीडीसी सदस्य, मुखिया ने इस संवाद कार्यक्रम में सहभागिता निभाई। एक घंटे के अनौपचारिक संवाद में पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से उनके क्षेत्र से जुड़ी जन समस्याओं को सुना गया। साथ ही उनसे सकारात्मक सुझाव भी लिये गए। विभिन्न प्रखंडों और पंचायतों से आए जन प्रतिनिधियों ने कॉफी विद एसडीएम कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि प्रशासन और पंचायती राज प्रतिनिधियों के बीच यह बैठक उन सबका मनोबल बढ़ाने वाली है।
मेराल प्रखंड के उप प्रमुख निजामुद्दीन खान ने कहा कि उनके लंबे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उन्होंने इतनी प्रशासनिक संवेदनशीलता के साथ कभी सरकारी संवाद नहीं देखा जैसा कि कॉफी विद एसडीएम में देखने को मिल रहा है। मझिआंव प्रखंड प्रमुख आरती दुबे ने संवाद के दौरान बताया कि मझिआंव प्रखंड के अधिकारियों और कर्मचारियों का व्यवहार जनप्रतिनिधियों के प्रति सम्मानजनक न होकर उपेक्षा जनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीडीओ, सीओ और बीपीओ की शैली स्वेच्छाचारी है। इस पर एसडीओ ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह अपने स्तर से जांच कर वरीय पदाधिकारियों को संसूचित करेंगे।
ज्यादातर जनप्रतिनिधियों ने आसन्न जल संकट को देखते हुए अपनी चिंताएं प्रकट कीं। कई प्रखंडों के प्रमुखों व पंचायत समिति सदस्यों ने कहा कि इस मामले में वह जनता के सामने सिर्फ निरीह बने रहते हैं। पेयजल संकट को सामने देखते हुए भी वह जनता के लिये कुछ नहीं कर पा रहे हैं। कुछ लोगों ने अलग-अलग गांवों में नई अधिष्ठापित जलमीनारों के शुरू न होने पर प्रश्न उठाया तो कुछ लोगों ने वित्तीय अनियमितता की शिकायत की। उस पर एसडीओ ने उन सभी से ऐसी जल मीनारों की सूची लिखित में देने को कहा साथ ही भरोसा दिलाया कि अगर कहीं अनियमितता हुई होगी तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मधेया पंचायत के मुखिया बसंत चौबे ने कहा कि उनके पंचायत के खजूरी गांव में दो जल मीनारें लगी हुई हैं किंतु उनमें एक बूंद पानी नहीं आता। इसी प्रकार अचला पंचायत के मुखिया मुखराम भारती ने कहा कि उनकी पंचायत के डुमरो व नारायणपुर में पानी के लिए हाहाकार है। नारायणपुर में आठ डीप बोर करा कर व्यर्थ पड़े हुए हैं। उसपर एसडीओ ने कहा कि वे स्वयं आकर जांच करेंगे। मेराल प्रखंड की प्रमुख दीपमाला ने कहा कि उनके प्रखंड में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति कम रहती है। इतना ही नहीं जो लोग मुख्यालय छोड़कर जाते हैं वह उन्हें सूचना देना भी जरूरी नहीं समझते, इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जाए। उन्होंने प्रखंड स्तर पर शिथिल पड़े कुछ कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि इनमें तेजी लाने की कार्रवाई की जाए। गढ़वा प्रखंड के कार्यकारी प्रमुख फैजुल अंसारी ने कहा कि गढ़वा अंचल में दाखिल खारिज, ऑनलाइन प्रविष्टि, लगान निर्धारण के बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। लोग अंचल का चक्कर काट कर परेशान है। इन कार्यों में तेजी लाई जाए। इस पर एसडीओ ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में वे शीघ्र ही अंचल कार्यालय का निरीक्षण करेंगे। कोरवाडीह पंचायत के मुखिया शरीफ अंसारी ने बैठक में बोलते हुए अन्य जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे सभी निर्वाचित प्रतिनिधि अपने गांव देहात में फैले अंधविश्वास, नशाखोरी, छोटे-मोटे झगड़ों आदि को अपने स्तर से दूर करने का प्रयास करेंगे। उनके इस प्रस्ताव के आलोक में संजय कुमार ने सभी से अनुरोध किया कि वे स्थानीय स्तर पर विधि व्यवस्था एवं सामाजिक सौहार्द बनाए रखने में अपनी सकारात्मक भूमिका जरूर निभाएं। वहीं डंडा प्रखंड के उप प्रमुख नंदू चौधरी ने कहा कि उनके प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड प्रमुख दोनों ही प्रखंड कार्यालय नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि उनका कार्यकाल तीन साल हो गया है लेकिन इन तीन सालों में पंचायत समिति की सिर्फ एक बैठक हुई है। इस विषय को एसडीओ ने काफी गंभीर बताते हुए आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया। कुछ इसी बात की पुष्टि डंडा प्रखंड की पूर्व प्रमुख और वर्तमान में पंचायत समिति सदस्य शाइना खातून ने भी की। उन्होंने कहा कि पंचायत समिति की नियमित बैठकें करवाई जाएं।
उपरोक्त के अलावा सोनपुरवा पंचायत के मुखिया अख्तर खान, मेराल पूर्वी के मुखिया रामसागर महतो, संगबरिया पंचायत के मुखिया संजय राम, परिहारा पंचायत के मुखिया रविंद्र राम, ओबरा पंचायत की मुखिया कौशल्या देवी, बोदरा पंचायत के मुखिया इंद्र कुमार सिंह, छतरपुर पंचायत के बीडीसी मोहम्मद उस्मान अंसारी, बोदरा पंचायत के बीडीसी नूर आलम, रामपुर पंचायत की बीडीसी गुलाब देवी, मेराल के बीडीसी जगदीश राम, करमडीह की बीडीसी समरून खातून, तलसबरिया की बीडीसी शाइस्ता खातून, मोरबे की बीडीसी संध्या देवी, अचला की बीडीसी बिंदु देवी सहित अन्य ने भी आवास, शिक्षा, आंगनबाड़ी, राशन सहित अन्य विषयों को लेकर विस्तार से रखे। कई जनप्रतिनिधियों ने लिखित में भी अपनी शिकायतें और सुझाव रखे। एसडीएम ने सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे अपने सहयोगी प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ बेहतर समन्वय बनाकर कार्य करें। किसी भी परिस्थिति में परस्पर संवादहीनता और प्रतिद्वंद्विता से बचेंगे। फिर भी अगर कहीं किसी प्रकार की समन्वयात्मक परेशानी आती है तो वे उन्हें या जिले के वरीय पदाधिकारियों को सूचित करेंगे। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों व सरकारी अधिकारियों के सामूहिक प्रयास से ही "समृद्ध गढ़वा और सुंदर गढ़वा की परिकल्पना पूरी होगी।
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